Find the Best चाक Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutचाकुओं से गोदकर युवक की हत्या, चाकू किसका उदाहरण है, चाकरी meaning in hindi, चाकी की बीमारी, चाकुलिया की सब्जी,
Ghumnam Gautam
यक-ब-यक होश मत गँवाया कर पी के थोड़ा तो लड़खड़ाया कर सारी दुनिया बनानेवाले सुन! ख़ुद को भी चाक पर घुमाया कर जब कभी ग़म तेरा सताए मुझे काँधे पर हाथ रखने आया कर सीख ले पैंतरे ज़माने के कुछ दिखाया तो कुछ छुपाया कर इश्क़ में ख़ाक ख़ुद को कर ले और ख़ाक को फूँक से उड़ाया कर ©Ghumnam Gautam #ghumnamgautam #चाक #पैंतरे
Sangeeta Verma
❤️...❤️ ©Sangeeta Verma #God #कलश #मिट्टी #चाक #प्रेमकलश #poem
Santosh Singh Raakh
" चाक चुम्बन " ©Santosh Singh Raakh #चाक चुम्बन written by संतोष सिंह " राख "
#चाक चुम्बन written by संतोष सिंह " राख "
read moreगौरव उपाध्याय 'एक तलाश'
कुम्हार का चाक अनुशासन और नियम की धुरी पर चलकर ही गीली मिट्टी को बर्तन और खिलौने को रूप देता है ये कच्चे बर्तन और खिलौने आग में ही तपकर मजबूत और आकर्षण हो जाते हैं। मानव जीवन भी चाक की ही तरह होता है सभ्यता और संस्कार की धुरी पर चलकर ही संयम और अनुशासन के आग में तपकर जीवन को सद्भाव, संवेदना, करुणा और दया से सुमार्ग पथ पर चलने के साथ ही जीवन के वास्तविक उद्देश्य की 'एक तलाश' में सफल होता है। ©गौरव उपाध्याय 'एक तलाश' #DesertWalk #kumbhar #चाक #नियम #अनुशासन
#DesertWalk #kumbhar #चाक #नियम #अनुशासन
read morePrachi Gupta
सोंधी सी खुशबू उसकी, वो गीली मिट्टी चाक पर घुमते हुए इतरा रही थी गोल गोल घूमता हुआ चाक ओर उसपे घूमते हुए कुम्हार के हाथ साहब वो अकेली थीu बस उसे थोड़े प्यार की जररूत थी घूमते हुए हाथ, उसे बस सही साथ कि जरूरत थी गोल गोल हाथ घूमे मिट्टी बन मटकी इतराती हुई झूमे फिर कुम्हार ने उस सांचे को आंच पर भी तपाया थोड़ा सा कष्ट हुआ उसे, लेकिन उसी ने उसको मजबूत अंदर से था बनाया कुम्हार ने मटकी को अपने हाथ से था सजाया तब जाकर वो सुंदर रूप उसे था कहि दे पाया गोल गोल घूमता हुआ चाक ओर उसपे घूमते हुए कुम्हार के हाथ उसने रख उसकी असाव तय कराया उसने मिट्टी से मटकी तक पड़ाव इस पड़ाव में उसका बढ़ गया था भाव इस सफर के बाद , शुरू हुई उसकी एक लंबी असफार जोकि लंबी बहुत थी इस असफार मे उसके साहब भी बहुत थे इस सुंदर रूप को चाहने वाले बढ़ गए जो बहुत थे कुम्हार ने कभी इसे दिया तो दिया कभी उसे सुंदर रूप का चक्कर था गुरुर उसका पूरे टक्कर का था इस चक्कर मे गुरुर उसका बढ़ गया था आराइश थी कुम्हार की लेकिन गुरुर में सब वो अपने भूल गया था इधर उधर के चक्कर में अपने ही झूठे सुरूर में गिर कर उसके साथ उसका गुरुर भी टूट गया था इस चक्कर मे वो किसी का ना हो पाया हो चकनाचूर मिटा लिया था उसने अपना ही साया फिर वो बिगड़ा रूप किसी को ना भाया....
Sabir Khan
मैं दर्द हूँ, तकलीफ हूँ, हर जिस्म पे सवार हूँ। ज़ुल्म,ज़्यादती,ज़ख़्मों की कराह चीख़ पुकार हूँ। तारीख़ मेरी भी हर दौर में अज़ीमतरीन है, अज़ीमतरीन में भीे अज़ीमुश्शान वाक्या-हुसैन है। तड़प उठी थी रेत भीे तलवार के चाक से, दरिया का सीना चिर गया मंज़रे-दर्दनाक से। दहशत के शोले धूप में मिले घुले-घुले, हवा तो जैसे रुक गई नेज़ों की नोंक पे। अर्श भी डरा-डरा, फर्श भीे सहम-सहम, क़ायनात कैद थी, ज़ुल्मी विसात से। ऐ हक़! तुम्हारा परचम फिर भी बुलंद था, नवाशा ऐ रसूल(सल्ल.) जो चाक-चौबंद था। झुकते थे सर ख़ौफ़ की मुर्दा नमाज़ में, ज़िंदा कर गया नमाज़ को वो सर हुसैन का। मैंने भी हॅस कर कह गया- सुन ले,ऐ यजीद! मैं आज जिस सीने में हूँ वो है सीना हुसैन का। माँगी दुआ मैंने- ऐ अल्लाह!ऐ मेरे रब,,,, हर दौर में ज़िंदा रखना तू सीना हुसैन का। ।। मुहर्रम
मुहर्रम
read moreDiw@kar Soni
#OpenPoetry "बेटे डोली में विदा नही होते मगर ये बात और है" .... Diw@kar #बेटे डोली में विदा नही होते, और बात है मगर उनके नाम का "ज्वाइनिंग लेटर" आँगन छूटने का पैगाम लाता है ! जाने की तारीखों के नज़दीक आते आते
#बेटे डोली में विदा नही होते, और बात है मगर उनके नाम का "ज्वाइनिंग लेटर" आँगन छूटने का पैगाम लाता है ! जाने की तारीखों के नज़दीक आते आते
read moreRajesh Raana
हर शख्स अपनी नाक पर बैठा हुआ हैं , ज्यों उल्लू कोई शाख़ पर बैठा हुआ हैं । (१) बाजार में तगादियों की कमी नही है कोई , धन्ना सेठ भी इसी धाक पर बैठा हुआ है । (२) दिखता ही नही उसके सिवा कोई और मुझे, दिलबर मेरा, मेरी आँख पर बैठा हुआ है। (३) तेरी गली में आऊं और क़त्ल हो जाऊ, रक़ीब मेरा बस इसी ताक पर बैठा हुआ है । (४) इतनी जल्दी से न खुद को कमतरी से देख, कुज़ागर तेरा अभी तो चाक पर बैठा हुआ है । (५) ज़मी का होकर आसमाँ को नापने चला "राणा" आदम तू तो अभी अपनी राख़ पर बैठा हुआ है । (६) हर #शख्स अपनी #नाक पर बैठा हुआ हैं , ज्यों #उल्लू कोई #शाख़ पर बैठा हुआ हैं । (१) #बाजार में #तगादियों की कमी नही है कोई , #धन्ना सेठ भी इसी #धाक पर बैठा हुआ है । (२) #दिखता ही नही उसके #सिवा कोई और मुझे,