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Best kkपाठकपुराण Shayari, Status, Quotes, Stories

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Divyanshu Pathak

05 विषय- इश्क़ प्यार की बातें। ----------------------------------- तेरी पायल की रुनझुन में शब्द हमारे मौन हुए। कंगन की खनकाई में एहसास हमारे प्रौण हुए। कत्थई आँखों की कटार चल जाए दिल पे मेरे! घायल होकर तरकश टूटे तीर हमारे गौंण हुए। 💐💐💐 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #kkपाठकपुराण

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05
विषय- इश्क़ प्यार की बातें।
-----------------------------------
तेरी पायल की रुनझुन में शब्द हमारे मौन हुए।
कंगन की खनकाई में एहसास हमारे प्रौण हुए।
कत्थई आँखों की कटार चल जाए दिल पे मेरे!
घायल होकर तरकश टूटे  तीर हमारे गौंण हुए।
💐💐💐
04 पंक्तियाँ और पढो बाक़ी माज़रा कैप्शन में मिलेगा।
यह बस महबूब की 'याद' के लिए है-
💐💐💐
भीगे भीगे मन में तेरी मूरत छप जाती है जब।
मेरी बची हुई सी जाँ उसमें खप जाती है तब।
फिर धड़कन में गर्जन होती मेघ बने ज़ज़्बात!
तब  आँखों से  बारिश  होती  यारा सारी रात। 05
विषय- इश्क़ प्यार की बातें।
-----------------------------------
तेरी पायल की रुनझुन में शब्द हमारे मौन हुए।
कंगन की खनकाई में एहसास हमारे प्रौण हुए।
कत्थई आँखों की कटार चल जाए दिल पे मेरे!
घायल होकर तरकश टूटे  तीर हमारे गौंण हुए।
💐💐💐

Divyanshu Pathak

04 विषय - उलझन ----------------------- मैं अग़र कुछ कहूँ तो सम्प्रदायक कहलाऊँगा। मैं अग़र चुप भी रहूँ तो और कुचला जाऊँगा। कब तक इनसे बचने को लब मेरे ख़ामोश रहें! क्या कभी इस क़दर ख़ुद से न्याय करपाऊँगा? #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #kkपाठकपुराण

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04
विषय - उलझन
-----------------------
मैं अग़र कुछ कहूँ तो सम्प्रदायक कहलाऊँगा।
मैं अग़र चुप भी रहूँ तो और कुचला जाऊँगा।
कब तक इनसे बचने को लब मेरे ख़ामोश रहें!
ऐसे क्या मैं न्याय कभी ख़ुद से ही कर पाऊँगा?

उनका रसूल-ओ-करम भले दुनिया ने देखा है!
पर आम लोगों की आँखों पर पर्दा ही फेंका है।
राजनीति वोटों की होती जनहित से अब ऊपर
हर पहलू पे जुमला चलता मुद्दा केवल धोखा है।

कैप्शन देखें----- 04
विषय - उलझन
-----------------------
मैं अग़र कुछ कहूँ तो सम्प्रदायक कहलाऊँगा।
मैं अग़र चुप भी रहूँ तो और कुचला जाऊँगा।
कब तक इनसे बचने को लब मेरे ख़ामोश रहें!
क्या कभी इस क़दर ख़ुद से न्याय करपाऊँगा?

Divyanshu Pathak

03 विषय- आज का इंसान 💐💐💐 मैं तो शब्दों को तीर बनाता गया। अपनों के दिल में ही चुभाता गया। इंसान हूँ सभी बेजुबां की नज़र में! मैं बस उनको जानवर बताता गया। 💐💐💐 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #kkपाठकपुराण

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03
विषय- आज का इंसान 
💐💐💐
मैं तो शब्दों को तीर बनाता गया।
अपनों के दिल में ही चुभाता गया।
इंसान हूँ सभी बेजुबां की नज़र में!
मैं बस उनको जानवर बताता गया।
💐💐💐
बाँधकर परिंदे ख़ूब ली वाह वाही!
भूख लगी तो उनको चबाता गया।
जीव जीवस्य भोजनम् पढ़ लिया!
बिना समझे ही इसे  भुनाता गया।

 03
विषय- आज का इंसान 
💐💐💐
मैं तो शब्दों को तीर बनाता गया।
अपनों के दिल में ही चुभाता गया।
इंसान हूँ सभी बेजुबां की नज़र में!
मैं बस उनको जानवर बताता गया।
💐💐💐

Divyanshu Pathak

धागे जुड़गए आपस में मेरी रूह और तन के ! जिस दिन से क़रीब आए हो तुम मेरे मन के ! 🌺🌺🌺 प्रेम मन का सुंदरतम भाव है जो किसी का हो जाने के लिए हृदय को उत्साहित करता है। उस उत्साहित मन से--- 💐💐💐 उत्सुकता जो दिल में देकर तुमने प्रश्न बनाए हैं। बातें करके "स्वयं-स्वयं" से उत्तर उनके पाए हैं। 💐💐💐 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #kkपाठकपुराण

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जो ख़ुद को अकेला समझते हैं।
अपने आप को टूटा-टूटा या फ़िर
बिखरा सा महसूस करने वालों के लिए
कुछ पंक्तियाँ पढ़ कर देखिये--
अगर इक ख़्वाब है गुमनाम तो उम्मीद मत खोना।
हो ग़र मन में कभी पीड़ा खुली आँखों से मत सोना।
यूँ फ़ितरत मौसमी से तुम कभी मायूस सा होकर!
छुपाए मुह कभी अपना किसी कोने में मत रोना।
💐💐💐💐💐💐
कभी पतझड़ कभी सावन कभी शर्दी सा जीवन है।
न हो ग़र कोई मन्ज़िल तो  फ़िर  गर्दी सा जीवन है।
किसी का कर्ज़ है या फ़िर किसी का फ़र्ज़ लगता है!
चुकाना है भला कैसे ये पंछी' शागिर्दी सा जीवन है।

अपनी बात कहता हूँ- कैप्शन देखिये
विषय- हास्य और प्रेम ( दोनो हर जगह मौजूद हैं ) 02 धागे जुड़गए आपस में मेरी रूह और तन के !
जिस दिन से क़रीब आए हो  तुम मेरे मन के !
🌺🌺🌺
प्रेम मन का सुंदरतम भाव है जो किसी का हो जाने के लिए हृदय को उत्साहित करता है। उस उत्साहित मन से---
💐💐💐
उत्सुकता जो दिल में देकर तुमने प्रश्न बनाए हैं।
बातें करके "स्वयं-स्वयं" से उत्तर उनके पाए हैं।
💐💐💐

Divyanshu Pathak

कोरोना के क़हर से तो पूरा विश्व परेशान था ही ऊपर से अचानक से मौसम बदल कर किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा था।किसान का बेटा होने के नाते तब मैंने कुछ लिखा था।आओ #kkपाठकपुराण के साथ आज मैं किसानों_के_दर्द को लेकर ईश्वर को कुछ ताने मार बैठा हूँ जो आपके साथ साझा कर रहा हूँ मेरा प्रयास कैसा रहा मुझे जरूर बताएं आपका स्वागत है... 💐💐💐 सत्यम शिवम सुंदरम , कहते तुझको शंकर है ! ख़ुशहाली की उम्मीदों पर , तुमने फेंका कंकर है ! 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 करवट मौसम ने बदली, तूफ़ानी सा मंज़र है कर्मशीलता के सीने में, घोंपा त #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन

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मैं सबसे पहले माता सरस्वती को नमन करता हूँ।इस कविसम्मेलन के आयोजन कर्ता मंच कोराकाग़ज़ और सहयोगियों का सादर आभार व्यक्त करता हूँ। मैं अपनी बात कहता हूँ ---
मेरा परिचय--

मैं जीवन की अनुभूति  अपने अनुभव लिखता हूँ।
प्रेम सत्य और तथ्य ढूंढने की कोशिश में रहता हूँ।
पाठक श्रोता साथ निभाओ मेरी हिम्मत बनजाओ।
मैं पंछी उन्मुक्त मगन सा एहसास तुम्हारे कहता हूँ।

विषय - 'शिक़ायत' ( कोरोना और बे-मौसम बरसात )

अब कविता पढ़िए : - 01


 कोरोना के क़हर से तो पूरा विश्व परेशान था ही ऊपर से अचानक से मौसम बदल कर किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा था।किसान का बेटा होने के नाते तब मैंने कुछ लिखा था।आओ #kkपाठकपुराण के साथ आज मैं किसानों_के_दर्द को लेकर ईश्वर को कुछ ताने मार बैठा हूँ जो आपके साथ साझा कर रहा हूँ मेरा प्रयास कैसा रहा मुझे जरूर बताएं आपका स्वागत है...
💐💐💐
सत्यम शिवम सुंदरम , कहते तुझको शंकर है !
ख़ुशहाली की उम्मीदों पर , तुमने फेंका कंकर है !
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
करवट मौसम ने बदली, तूफ़ानी सा मंज़र है
कर्मशीलता के सीने में, घोंपा त


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