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Poonam Suyal
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! (अनुशीर्षक में पढ़ें) तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! महादेवी वर्मा तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! तुम बसते हो दिल में मेरे मुझसे अलग तुम हो सकते नहीं तुम्हारे होने से ही दमकते हैं हम तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या?
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! महादेवी वर्मा तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! तुम बसते हो दिल में मेरे मुझसे अलग तुम हो सकते नहीं तुम्हारे होने से ही दमकते हैं हम तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या? #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन
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कवयित्री:- महादेवी वर्मा कविता -सांध्यगीत( सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!) प्रथम पंक्ति - सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी! अंतिम पंक्ति - दुख से, रीति जीवन-गगरी। सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी! नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही....... सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़े😊 सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी! नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही....... कलकल करती बदली आज पिया कुछ कह रही, सावन की रुत भी अब बह रही, मन बांवरा बिन तेरे अब लागे नही, कौन सुने मेरी पीड़ आ जाओ, ये सांवरी तेरी तुझे बुला रही
सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी! नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही....... कलकल करती बदली आज पिया कुछ कह रही, सावन की रुत भी अब बह रही, मन बांवरा बिन तेरे अब लागे नही, कौन सुने मेरी पीड़ आ जाओ, ये सांवरी तेरी तुझे बुला रही #महादेवी_वर्मा #restzone #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन
read moreतेरे बिन अधूरा सा हूं...!!❤️
इस करुणा कलित हृदय में ना जाने भरा दुःख कितना है कोई समझ न पाए बातें कि कैसी बितती है काली रातें। ठोकर मिलता है सफर में ना जाने कितना घुट कर रह जाता आदमी पी जाता लेकर चला था जो सपना। दिल में जख्म भरे है कितने कोई समझ न पाता है आंसू बनकर धरा पे जख्म का पानी बह जाता है। सांस चलती है जब तक वो फर्ज अपना निभाता है सांस के छूटते ही सारा दर्द खतम हो जाता है। दर्द भरा है बहुत इस दर्द भरे जगत में आंसू बनकर बह जाता है आँसू इस विश्व-सदन में। कवि - जयशंकर प्रसाद शीर्षक - आंसू #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #restzone #rzछायावाद
कवि - जयशंकर प्रसाद शीर्षक - आंसू #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #restzone #rzछायावाद
read moreDr Upama Singh
रचना नंबर – 3 छायावादी कविता शीर्षक –“परिमल से सन्ध्या– सुन्दरी” सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” “दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है” चारों ओर डूबते सूरज की लाली से बन सन्ध्या सुन्दरी धरती पर बिखर रही ढूंँढ़ने वो आ रही अम्बर से धीरे धीरे शांत चुप रह कर अपने साँझ प्रेमी को गोधूली बेला लिए नदी सागर के वक्षस्थल पर बन अलसाई कली धीरे धीरे वो मुस्कुरा कर छेड़े सांँझ संग मृदुल राग उठते मन जल तरंग को चारहुँ ओर शांत पड़े हैं नीर, समीर, क्षितिज और अम्बर देख इस अप्रतिम सन्ध्या सुन्दरी को देख आती तिमिर को ख़ुद को कर लीन सन्ध्या सुन्दरी बन प्रेयसी छोड़ जा रही विरह राग “आप निकल पड़ता तब एक विहाग”।। #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #restzone #collabwithrestzone #yqdidi #similethougths #rzhindi #yqrestzone
Rashmi Hule
अनामिका :- काव्यसंग्रह कविता :- गीत कवी :- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जैसे हम है वैसे ही रहे स्वरचित कविता caption में ⬇️ अनामिका :- काव्यसंग्रह कविता :- गीत कवी :- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" ** पहिली और आखरी पंक्ति कवी सुर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी की कविता "गीत" से लेकर.. स्वरचना **
अनामिका :- काव्यसंग्रह कविता :- गीत कवी :- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" ** पहिली और आखरी पंक्ति कवी सुर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी की कविता "गीत" से लेकर.. स्वरचना ** #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqtaai #bestyqhindiquotes #restzone #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसंमेलन
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