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Best ढलने Shayari, Status, Quotes, Stories

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अविनाश पाल 'शून्य'

सूरज सा हर रोज मैं ढलने लगा हूँ,
मुट्ठी से गिरती रेत सा फिसलनें लगा हूँ।
अब रहता हूँ खुशमिजाज तो हैरान हैं लोग
शायद मैं अब धीरे-धीरे बदलनें लगा हूँ। #स्वरचित © #शून्य #सूरज #ढलने #रेत #खुशमिजाज #हैरान #धीरेधीरे

Gumnam Shayar Mahboob

इस दुनियां के रिवायतों में ढलने के लिए
मुझे गिरना है फिर से संभलने के लिए
कुछ दिनों से सिख रहा हूं तैराकियां
इश्क़ के समंदर में उतरने के लिए #दुनिया #रिवायतों #ढलने #तैराकी #समंदर #उतरने 
#गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob

rekha charan

छोड़ दिए हैं कुछ पन्ने अधूरे दास्तां ए किताब में.....
मगर  खाली उन पन्नों पर नजर आएगा जरूर गोर से देखने पर खामोश किस्सा मेरे अश्कों  का......
जैसे सूरज के ढल जाने के बाद भी रह जाता है एक सुनहरा सा रंग उसके मौजूदगी का.....

©rekha charan #अधूरे #दास्तां #किस्सा #अश्क #सूरज #ढलने #सुनहरा#रंग#मौजूदगी
#SunSet

Saurav Das

शाम ढलने के साथ ज़िन्दगी का एक पन्ना ढल जाएगा!
 
आज बुरा है तो क्या हुआ कल अच्छा 
आएगा!!

©Saurav Das #शाम 
#ढलने 
#ज़िन्दगी 
#एक_पन्ना 
#आज 
#बुरा 
#कल 
#अच्छा

Purnima bhardwaj (Poonam)

Some words #of A True "

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#पसंद करना है तो #किसी की #सादगी को करो...!! 
जो #उम्र #ढलने के बाद भी #जवां रहती है...!!
 
तकदीर और किस्मत से ज्यादा ताकत 
दुआ में होती है बेशक....♥️

 Purnima.... ✍️ Some words #of A True "

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

वो कहावत है ना कि प्रेम की न तो समीछा हो सकती है ना ही समय के प्रवल प्रहार से हीं समय घवङा सकती हैं,यह प्रेम हीं तो हैं साहेव,इंसान का सबकुछ लुट लेती हैं फिर भी इंसान परम संतोष की अनुभुति करता हैं!! मदन मोहन(मैत्रेय) मिलते नही वो रोज कहते भी कुछ नही, सब्रे हुजुर समझे बस यह मेरा खयाल है!           सायद इन पंक्तियों मे जीवन की गूढता छिपी हुई है,इश्क का मर्ज ऐसा होता हैं जनाब कि कहें क्या हलकी सी आहट पर भी दिल मचल उठता है!लगता है कि चाहतो के समंदर मे बस गोते लगाते रहें,यह इश्क हीं तो हैं साहेव कि

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वो कहावत है ना कि प्रेम की न तो समीछा हो सकती है ना ही समय के प्रवल प्रहार से हीं समय घवङा सकती हैं,यह प्रेम हीं तो हैं साहेव,इंसान का सबकुछ लुट लेती हैं फिर भी इंसान परम संतोष की अनुभुति करता हैं!!

मदन मोहन(मैत्रेय)

मिलते नही वो रोज कहते भी कुछ नही,
सब्रे हुजुर समझे बस यह मेरा खयाल है!
          सायद इन पंक्तियों मे जीवन की गूढता छिपी हुई है,इश्क का मर्ज ऐसा होता हैं जनाब कि कहें क्या हलकी सी आहट पर भी दिल मचल उठता है!लगता है कि चाहतो के समंदर मे बस गोते लगाते रहें,यह इश्क हीं तो हैं साहेव कि

Poetry with Avdhesh Kanojia

चाह ----- अभी तो पिघली धातु सा हूँ है बारी आकार में ढलने की। अभी तो जुगनू सा हूँ मैं है चाह सूर्य सा बनने की।। देखे हैं कुछ स्वप्न जो मैंने

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चाह
....... चाह
-----
अभी तो पिघली धातु सा हूँ
है बारी आकार में ढलने की।
अभी तो जुगनू सा हूँ मैं
है चाह सूर्य सा बनने की।।

देखे हैं कुछ स्वप्न जो मैंने

Raju 7256093980

तुम तेरे आंगन की वो धूप, ढलने लगी है तेरे चाँद की रोशनी, धटने लगी है तेरा चेहरा यादो से, अब मिटने लगा है।

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तुम

तेरे आंगन की वो धूप,
ढलने लगी है
तेरे चाँद की रोशनी,
धटने लगी है
तेरा चेहरा यादो से,
अब मिटने लगा है।

Ankitmotivation06

Upanyas samrat munshi Premchand you are in our memories because दिन की शुरुआत में
हमें लगता है की जिन्दगी में
पैसा बहुत जरुरी है,
पर दिन ढलने पर समझ आता है
की जिन्दगी में शांती अधिक जरुरी है !!
 -- Munshi prem chandra 
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Ankitmotivation06

  Internet Jockey Shilpa Kumari Jha shivu_writes  Shakuntala Choudhary aman6.1

Saurabh Verma

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ये शाम ढलने दो जरा,
रात के पहर को आने दो जरा,
बह जाने दो गमों को अश्क़ों से,
इन अश्क़ों को मोती बन जाने दो जरा,
ये शाम अभी है,ग़मगीन,
किसी दिन होगी हसीन,
खुद को चाँद की रोशनी में,
भीग जाने दो जरा,
ये शाम ढलने दो जरा,
क्यों खोये हुए हो,
अतीत के पन्नो में,
वर्तमान में दो पल,
ठहरो तो जरा,
निकल आओगे सारे चक्रव्यूहों से,
बस खुद को सोने की तरह,
तपने दो जरा,
ये शाम ढलने दो जरा.....✍️
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