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Stories related to बंधाया ढांढस

    LatestPopularVideo

Ravendra

वन्य जीव प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे वन मंत्री लोगों को बंधाया ढांढस #वीडियो

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pyara birju

#depression इश्क़ में कुछ इस कदर हारा हूँ मैं.... कोई ढांढस बंधा कर ये कह दे, परेशान मत हो...सिर्फ तुम्हारा हूँ मैं ।। मेरी कलम से प्याराबि #ज़िन्दगी #शायरी

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इश्क़ में कुछ इस कदर हारा हूँ मैं....
कोई ढांढस बंधा कर ये कह दे,
परेशान मत हो...सिर्फ तुम्हारा हूँ मैं ।।

मेरी कलम से
प्याराबिरजु😣😣😣 #depression 
इश्क़ में कुछ इस कदर हारा हूँ मैं....
कोई ढांढस बंधा कर ये कह दे,
परेशान मत हो...सिर्फ तुम्हारा हूँ मैं ।।

मेरी कलम से
प्याराबि

Rupam Jha

जीत हार की सियासी जंग में एक इंसान ज़िन्दगी हार गया। अभी प्रमाणित तो नहीं हुआ कि हत्या का क्या कारण था पर प्रथम दृष्टया लगता है कि सियासी जं #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #siyasat #नवरूप #jhapost

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आदम ही आदम का रक्तपान कर रहा है यहां,
क्या राजनीति में नरसंहार जरूरी है? जीत हार की सियासी जंग में एक इंसान ज़िन्दगी हार गया। अभी प्रमाणित तो नहीं हुआ कि हत्या का क्या कारण था पर प्रथम दृष्टया लगता है कि सियासी जं

Ravendra

शहीद सैनिक के घर पहुंचे एसडीएम नानपारा बहराइच । जनपद के तहसील नानपारा अन्तर्गत ग्राम गुरघुट्टा निवासी भारत-बंगलादेश सीमा पर तैनात सैनिक द #वीडियो

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अनुज

बेटी विदा हो गई मगर, बेटो की विदाई कौन देखा, मखमल के बिस्तर से, टूटी चारपाई कौन देखा, नौकरी पेशा है न साहब, बेटा करता भी तो क्या करता, बेटों #motherlove

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बेटी विदा हो गई मगर,
बेटो की विदाई कौन देखा,
मखमल के बिस्तर से,
टूटी चारपाई कौन देखा,
नौकरी पेशा है न साहब,
बेटा करता भी तो क्या करता,
बेटों की घर से दूरी,
अपनों से जुदाई कौन देखा,
जो पहनते थे धुले हुए,
कपड़े मां के हाथों से,
जूतो को फेंक देते थे,
बिन छुए, लातों से,
और बिस्तर पर बैठ कर,
गरमागरम चाय मिल जाती थी,
रेंट के कमरे में तब,
मां तेरी बहुत याद आती थी,
सुबह उठकर खुद से,
खाना बनाने की जंग हो,
आटा गीला हो जाए,
तो लगे के मां तू संग हो,
और भारी से मन को अकेले,
एकाकी हो स्वयं ढांढस बंधाया,
रात में तकियों पर छिपकर,
बिन कराहे आंसू बहाया,
मर्द होने का भार सर पर,
पोंछ आंसू को मैं फिर से मुस्कुराया,
और क्या था चारा इसके बजाय,
क्या करें जब घर की याद आए,
जी चाहता है सर पर किसी का हाथ हो,
मेरी सिसकियों पर मुझको,
कोई हो जो थपथपाएं,
इतना घटित जब हो रहा,
तब भी स्वयं को मौन देखा
खुद की खुद से चल रही,
हाथापाई को कौन देखा
बेटी विदा हो गई मगर,
बेटो की विदाई कौन देखा,

©अनुज बेटी विदा हो गई मगर,
बेटो की विदाई कौन देखा,
मखमल के बिस्तर से,
टूटी चारपाई कौन देखा,
नौकरी पेशा है न साहब,
बेटा करता भी तो क्या करता,
बेटों

i am Voiceofdehati

यहां लोग कहेंगे कि सहायता धन की ही नहीं अन्य तरीकों से भी की जा सकती है हां मैं मानता हूं तन,मन और बल से भी तन से आप किसी को सहायता कैसे दें #lifelessons #MyThoughts #मेरीक़लमसे #motivationtime #yqsnatni #voice_of_village

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गजब है?

जो लोगों की सहायता करना चाहते है
उनके पास धन नहीं है,

और जिनके पास धन है,
वे लोगों की सहायता नहीं करना चाहते...
 यहां लोग कहेंगे कि सहायता धन की ही नहीं
अन्य तरीकों से भी की जा सकती है
हां मैं मानता हूं
तन,मन और बल से भी
तन से आप किसी को सहायता कैसे दें

*Nee₹

ग़रीबी सिर्फ़ धन की कमी का ही नाम नहीं होता। यह एक चरित्र का नाम है। लिखिये अपने विचार YQ DIDI के साथ। #गरीबी #Challenge #yqdidi poverty #yqbaba #yqbhaijan #YourQuoteAndMine #yqthoughts #PovertyQuotes

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१) मजबूरी
२) मजबूरी
३) मजबूरी
                 "कितनी मजबूर* होगी वो माँ..
                   देख भूखे बिलखते बच्चों को
                   अपनी लाचारी पे कितना रोई होगी
                   कितनी मजबूर* होगी वो माँ..
                   होकर बेचैन कितना सिसकी होगी
                   उस तड़प में रातें न सोई होगी
                   कितनी मजबूर* होगी वो माँ..
                   मुफ़लिसी में आज़ादी खोई उसने
                   पर न खोई ख़ुद्दारी उसने
                   कितनी मजबूर* होगी वो माँ..
                   जाने कैसे भूखे बच्चों को ढांढस बंधाई उसने
                  'मुझे भूख नहीं है' कहकर निवाले खिलाए उसने
                   सच में, कितनी मजबूर* होगी वो माँ..." ग़रीबी सिर्फ़ धन की कमी का ही नाम नहीं होता। यह एक चरित्र का नाम है।

लिखिये अपने विचार YQ DIDI के साथ। 

#गरीबी
#challenge 
#yqdidi 
#poverty

vishnu prabhakar singh

मेरे पिता जी कहते हैं 'गलत का justification नहीं है' जिन्दगी की रील में, स्मारक बन अज्ञानता अंकित है, शांत परिवेश में। साथ है,नहीं छूटा है #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #ज़िन्दगीकीरील #विप्रणु

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जिन्दगी की रील में,
स्मारक बन अज्ञानता अंकित है,
शांत परिवेश में।
साथ है,नहीं छूटा है
स्थापित हो कर,ढांढस देता है
इतनी कृपा है।
हो जाती होगी अनेक अनहोनी
पर मुझे तो एक मार्ग प्रस्तुत है,
जो जिन्दगी की रील में, 
मेरे प्रति सद्भावना अग्रसर कराती है,
निश्चित यह,रील में अंकित ज्ञान होगा।
वो 'ज्ञान'जो,
एक विचारणीय मन,बहुसंख्य आयाम और,
अनन्य जिंदगीगत उत्तरदायित्व के 
सशक्त आचरण में हुई चूक को मात्र,
औचित्य प्रदान करता है।
आप तो जानते ही हैं, दूषित को दोषमुक्ति नहीं है,
जो अकारण भूल को है।
 मेरे पिता जी कहते हैं 'गलत का justification नहीं है'

जिन्दगी की रील में,
स्मारक बन अज्ञानता अंकित है,
शांत परिवेश में।
साथ है,नहीं छूटा है

अनुज

चलो चलें... छोड़ के घर अपना फिर से भागादौड़ी फिर से आंख मिचौली अपनो के नयन हो भीगे घूंट मोह का पीके कदम बढ़ा के आगे चलो च #Poetry #Hindi #poem #LastNight #nojohindi

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चलो चलें.....
(कृपया अनुशीर्षक पढ़ें)

©अनुज चलो चलें...
छोड़ के घर अपना
फिर से भागादौड़ी
फिर से आंख मिचौली
अपनो के नयन हो भीगे
घूंट मोह का पीके
कदम बढ़ा के आगे
                   चलो च

अनुज

शून्य से सृजन‌ की ओर पहला कदम विरान सा, दूर से, लिखना सभी को, होता कहीं आसान सा, मनोबल को सुदृढ़ करना, फिर पंक्तियों का ताल मेल, और झि #Poetry #Hindi #poem #MessageToTheWorld

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शून्य से सृजन‌ की ओर
 पहला कदम विरान सा,
 दूर से, लिखना सभी को,
 होता कहीं आसान सा,
 मनोबल को सुदृढ़ करना,
 फिर पंक्तियों का ताल मेल,
 और झिझक भरी आकांक्षाओं का,
 मन मस्तिष्क में मेल जोल,
 न अंलकारों की समझ,
 और मात्राओं की उठा-पटक,
 छंदों का विरह होना स्वयं में,
 लय बद्ध होने की मन में खटक,
 कहां आसान था सफ़र,
 लिखना, मिटाना बार-बार,
 कोई भी आकर करता सृजन को,
 अपने चक्षुओं से तार-तार,
 फिर स्वयं एकाकी होकर,
 स्वयं को ढांढस बंधानां,
 फिर सृजन को जन्म देना,
 और कलम फिर से उठाना,
 लिखना सामाजिक कुंठाओं पर,
 या प्रेम को आलोकित करना,
 कुंडली मार कर बैठे समाज पर,
 खादियों का शोषित करना,
 दुर्गम था पग रखना साहित्य में,
 आया था जब अनजान सा,
 शून्य से सृजन‌ की ओर
 पहला कदम विरान सा...

©अनुज शून्य से सृजन‌ की ओर
 पहला कदम विरान सा,
 दूर से, लिखना सभी को,
 होता कहीं आसान सा,
 मनोबल को सुदृढ़ करना,
 फिर पंक्तियों का ताल मेल,
 और झि
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