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Manish Sarita(माँ )Kumar
मैंने भी सोच रखा है एक दिन एक घर बनाना है फिर उसे करीने सा सजाना है तुम्हें बुलाना है उसी शाम जिस दिन तूने मेरे घर आना है रस्म है मेरे यहां नए पुराने सामान से घर सजाने की तू हाथ बटा देना मां का एक काम करना है मां जो मांगें वो सब सामान पकड़वाना है चाय भी ठीक ठाक बना लेता हूं फिर किसी दिन तुझे चाय पे बुलाना है पकोड़े अच्छे बना लेती है मां तुम एक काम करना मां से सांझा करना तुम्हारी कोई याद मां ने बातों बातों में तुम्हें सब सिखाना है ©Manish Sarita(माँ )Kumar घर बनाना है #घर
Smriti_Mukht_iiha🌠
काया की ईंट जुड़ती है जहाँ संबंधों से! और परस्पर तारतम्यता के साथ बनाती है नेह की दीवार! जहाँ खट्टे-मीठे अनुभव बाँह पसारे मिलते हैं! सुकून माथा सहलाता है बोझिल दिन को थकन के बाद! जहाँ अभी भी खूंटी पर टँगी शर्ट तुम्हारी राह तकती है! तुम्हारी महक में मेरी साँस बसती है! वह यादों की चारदीवारी ही मेरे लिये "घर " कहलाता है!! घर तो घर होता है!
घर तो घर होता है!
read moreAjay Bishwas
माँ काली रात को सहर बनाती है बोझल फ़िज़ा में डगर बनाती है माँ सर पर रखकर हथेली अपनी औलाद को नूर-ए नज़र बनाती है # माँ घर को घर बनाती है
# माँ घर को घर बनाती है
read moreAjay Bishwas
पिता! ये जहां धूप का जंगल तेरी दुआ सायादार शजर नज़र से ओझल होते ही नैया डोले बीच भँवर तेरे आने से रौनक़ आती है तुझसे घर लगता है घर # पिता! तुझसे घर घर लगता है
# पिता! तुझसे घर घर लगता है
read morePrashant Mishra
कभी मौसम बसंती तो कभी पतझर बुलाता है रास्ते में खड़ा वो मील का पत्थर बुलाता है हो गयी शाम तू अब तो परिंदे लौटकर आजा यही कहकर के अब मुझको, हमारा "घर" बुलाता है --प्रशान्त मिश्रा घर बुलाता है
घर बुलाता है
read moreNisha
"हम घर जाना चाहते हैं" कितनी बड़ी दुनिया है पर सब कुछ जैसे सपना है जब इतना सब है यहाँ तो ये सब सच होना ही वाजिब है गर सच कुछ भी नहीं है तो हम यहाँ क्यूँ हैं हम घर जाना चाहते हैं ना जाने वो किस दिशा में है इसी को सब हक़ीक़त कहते हैं पर हम जानते हैं, ये 'घर' नहीं है कोई मानता है कोई नहीं पर हक़ीक़त हक़ीक़त रहेगी बस यही की ये 'घर' नहीं है हम घर जाना चाहते हैं बस, हम घर जाना चाहते हैं घर कहाँ है?
घर कहाँ है?
read moreRajesh rajak
आज थका हुआ सा लगता है मेरा घर, पेड़ पीपल का भी उदास उदास है, सब कुछ तो है,बस मां शहर गई है, शेरू,बेजान सा पड़ा है,जैसे जिंदा लाश है, झबरी गैया,सुक्कु तोता निहार रहे हैं,दरवाजे को, चिड़ियों का कलरव भी बंद है,इनको भी किसी की तलाश है, जल्दी आ जाओ शहर से मां, तेरे बिन मेरा सारा जहां उदास है, घर उदास है,
घर उदास है,
read moreGiriraj
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, अपनों के बीच फिर वही सुकून पाता हूं हो जाती है तकलीफें कम जब मिलता है अपनों का सहारा इसलिए घर से निकलकर फिर घर को लौट आता मां का प्यार पिता का स्नेह मिलता है घर में इसलिए फिर घर को लौट आता हूं यह है घर
यह है घर
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