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Rajesh Arora
......... . ©Rajesh Arora शायरी शायरी दोस्ती शायरी लव शायरी हिंदी शायरी शायरी लव रोमांटिक
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read moreनिर्भय चौहान
White याद आते हो तो तुमको भुला देता हूं । ख्वाब को थपकियां दे के सुला देता हूं । जब भी सन्नाटे मेरी और बढ़े आते हैं । जॉन को सुनता हूं खुद को रुला देता हूं । जाने किस हाल में किसने चुराई रोटी चोर के हाथ में अब मैं तुला देता हूं। दिल में जो बंद था वो शख्स अपना न हुआ। जिसको देता हूं दिल उसको खुला देता हूं । हाथ उठ जाते हैं हक में दुआ करता हूं। हाथ कट जाए तो सर को झुला देता हूं। तुम क्यों अब भी भला खुद पे सितम ढाते हो। अब भला कौन सी पलकें मैं धुला देता हूं। देखें निर्भय से जरा बच के रहिए साहब सबको हर वक्त नया एक गुला देता हूं । ©निर्भय चौहान #GoodNight Rakhee ki kalam se vandan sharma करम गोरखपुरिया Madhusudan Shrivastava कवि आलोक मिश्र "दीपक" शायरी attitude लव शायरी शायरी
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read moreनिर्भय चौहान
White तिरी याद का वो ही मौसम सुहाना, मेरे दिल के दर्रों में आने लगा है। वो बिछड़ा हुआ एक गुजरा जमाना, मुझे खुद से मिलने बुलाने लगा है। मैं हूं फर्द जीवन के इस रास्ते पर बहुत देर थक के भी चलता रहा हूं ना जाने कहां है वो मंजिल हमारी जहां तक हमें साथ चलना था यारा। मुझे छोड़ने में क्या सुख तुमने पाया तुझे रोशनी में दगा देता साया चले आओ फिर से चलें साथ मिलके। हां तुम इस दफा बस जफा भूल जाना। मुझे याद रखना मुझे तुम सताना। मुझे ले के बाहों में करना नमाज़ें मेरे साथ सजदे में सर को झुकाना। ©निर्भय चौहान #Sad_Status शेरो शायरी दोस्ती शायरी शायरी हिंदी में शायरी दर्द शायरी attitude नीर Kumar Shaurya vandan sharma वरुण तिवारी कवि आलोक मिश्
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read moreनिर्भय चौहान
White तुम तो वैसे भी दिल्लगी में थे। हम थे जैसे भी जिंदगी में थे। बुत को काफिर समझने वालों के घर लुटे तो भी बंदगी में थे । मैं तेरे गाल थपथपाता मगर हाथ मेरे दरिंदगी में थे चूम कर माथा बांह में भरकर हाथ उसके बा ज़िंदगी में थे थक के वो लौट आये हैं घर को फर्द वो भी परिंदगी में थे उनकी मां बेटियां नहीं जाए बाप बेटे दरिंदगी में थे किसने तुमको बनाया है निर्भय यार शायर ता जिंदगी में थे निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान #sad_quotes vandan sharma Kumar Shaurya करम गोरखपुरिया कवि आलोक मिश्र "दीपक" वरुण तिवारी शायरी हिंदी शायरी शायरी दर्द गम भरी शायरी शाय
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read moreSangam Pipe Line Wala
तेरे ऑनलाइन इश्क़ ने कंही का ना छोड़ा शायर था मैं तूने बना दिया इंटरनेट पर घोड़ा दो साल का था तेरा टाइमपास इश्क़ मुझसे अब बोलती है तु ना डाल मेरी राहों में रोड़ा... ©Sangam Pipe Line Wala शायरी attitude शायरी शायरी लव शेरो शायरी शायरी वीडियो
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read moreनिर्भय चौहान
White मेरे खयाल जानिब ए गर्दिश बदल गए उनके खयाल रंग ए ज़माने में ढल गए ऐसा लगा की जैसे क़फ़स में थे जी रहे हमने की ढीली बाहें तो बाहर निकल गए उसकी गली से मैयतें आशिक की जा रही जिसकी गली में दिल के सभी ख्वाब जल गए तुमने नहीं है देखा वो भींगा हुआ बदन चिकनी कमर पे सारे ही लस्कर फिसल गए मां की तरह ही उसने था सर गोद में रखा माथा जो चूम बैठी तो बच्चे बहल गए अब आशिकी में जीत से तौबा करेंगे हम निर्भय बुलंदियों के सभी सूर्य ढल गए निर्भय चौहान² ©निर्भय चौहान शायरी दर्द शायरी हिंदी शायरी शायरी हिंदी में 'दर्द भरी शायरी' Kumar Shaurya कवि आलोक मिश्र "दीपक" Madhusudan Shrivastava Shiv Narayan Sa
शायरी दर्द शायरी हिंदी शायरी शायरी हिंदी में 'दर्द भरी शायरी' Kumar Shaurya कवि आलोक मिश्र "दीपक" Madhusudan Shrivastava Shiv Narayan Sa
read moreनिर्भय चौहान
मॉल में हॉल में चल रही बकरियां कैसे माहौल में पल रही बकरियां घर से दुनियां बदलने चली बकरियां पूरी दुनिया को ही खल रही बकरियां चारे के प्यार में भूखी त्योहार में ख्वाब की पूरियां तल रही बकरियां आधुनिक बकरियां सेरलक दे रही मेमनो को भी तो छल रही बकरियां चांद तारों तलक पहले ही घूम ली अब नजोटो पे भी चल रही बकरियां मैं मैं करती हुई ठीक हैं बकरियां दौर बीता की निर्बल रही बकरियां अब कसाई का दिल भी बदल जायेगा जैसे अंदाज से ढल रही बकरियां ©निर्भय चौहान बकरियां वरुण तिवारी Kumar Shaurya करम गोरखपुरिया कवि आलोक मिश्र "दीपक" हिंदी शायरी 'दर्द भरी शायरी' शेरो शायरी
बकरियां वरुण तिवारी Kumar Shaurya करम गोरखपुरिया कवि आलोक मिश्र "दीपक" हिंदी शायरी 'दर्द भरी शायरी' शेरो शायरी
read moreShashi Bhushan Mishra
अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का, समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, बस यही तरक़ीब है दुनिया भुलाने का, मिला खेवनहार दरिया पार कर लूँगा, ज़िस्म में ताकत नहीं गोता लगाने का, पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का, जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, बांसुरी की तान पर झूला झुलाने का, ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, हृदय है प्यासा उसे पानी पिलाने का, बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन', मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra #दीपक जलाने का#
#दीपक जलाने का#
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