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purvi Shah
रास्ते दुलार के हो हर गुजारगाह पर। वालिद की दुआ का साथ हो बंदे पर। ना हो नज़र कीसिके अधिकारो पर। एक ऐसा जहां मिले पाक जमी पर। मुसलसल हासिल रहें रास्ते दुलार के, हाथ थामे रखना तुम ताउम्र प्यार से। स्वेच्छाचार को न बनाना तलब अपनी, जो, जब चाहिए,हर लेना अधिकार से। रास्ते दुलार के हो हर गुजारगाह पर। वालिद की दुआ का साथ हो बंदे पर। ना हो नज़र कीसिके अधिकारो पर। एक ऐसा जहां मिले पाक जमी पर।
मुसलसल हासिल रहें रास्ते दुलार के, हाथ थामे रखना तुम ताउम्र प्यार से। स्वेच्छाचार को न बनाना तलब अपनी, जो, जब चाहिए,हर लेना अधिकार से। रास्ते दुलार के हो हर गुजारगाह पर। वालिद की दुआ का साथ हो बंदे पर। ना हो नज़र कीसिके अधिकारो पर। एक ऐसा जहां मिले पाक जमी पर।
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लिबास पे फितरत नहीं लिखी होती। लाज़ - ओ - हया तो नजर में बसती। पैमाइश करे कोई, कहां मंजूर मुझे... मेरा किरदार ही लहज़े-ओ-तहज़ीब है। हर लिबास ही फबता तेरे बदन पे, देखे लाज़-ओ-हया तु नज़र में भरके। तेरे शीरीं लहज़े-ओ-तहज़ीब पर, है ख़ूब गुमान मुझको तेरी फ़ितरत पे। मुझे नहीं मंजूर पैमाइश करे कोई, तेरे किरदार की महज़ इक पैरहन से। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
हर लिबास ही फबता तेरे बदन पे, देखे लाज़-ओ-हया तु नज़र में भरके। तेरे शीरीं लहज़े-ओ-तहज़ीब पर, है ख़ूब गुमान मुझको तेरी फ़ितरत पे। मुझे नहीं मंजूर पैमाइश करे कोई, तेरे किरदार की महज़ इक पैरहन से। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
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हर ग़म का इलाज़ तू है मां... बेचैन मन का सुकून तू है मां... जहां सब रिश्ते हो मतलबी.. जग में खुदा की नेमत तू है मां.. माँ का प्यार सबसे बड़ी नेमत जग की, इस फ़ानी ओ मतलबी जहाँ की। रसूख देख रिश्ते लेते आग़ाज़ यहाँ, सहुलियत ख़त्म,रिश्ते लें परवाज़ नहीं। दूजे का जानना राज़, खोद-खोद कर, अपना नहीं देना कोई अता-पता भी। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
माँ का प्यार सबसे बड़ी नेमत जग की, इस फ़ानी ओ मतलबी जहाँ की। रसूख देख रिश्ते लेते आग़ाज़ यहाँ, सहुलियत ख़त्म,रिश्ते लें परवाज़ नहीं। दूजे का जानना राज़, खोद-खोद कर, अपना नहीं देना कोई अता-पता भी। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
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अब मैकदा के गुज़र- गाह हम कहा रहे... जब से तन्हा रातों में मेहफ़िल सजाई तुमने। हर मैकदा हुआ मातमज़दा, हर तरफ फ़ालिज़ ए क़ल्ब गुलज़ार, जबसे महफ़िल ए तन्हा रातें सजाई तुमने, ऐ! गुलबदन गुलनार। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में 💐आभार "रेख्ता फाऊंडेशन" उर्दू शायरी में प्रोत्साहित करने के लिये । Bg : गूगल इमेजेस के सौजन्य से.. 💐आभार...गुलनार ..♥️ #collabwithतन्हा_रातें #एक_गुलनार #yqbaba #मैकदा
हर मैकदा हुआ मातमज़दा, हर तरफ फ़ालिज़ ए क़ल्ब गुलज़ार, जबसे महफ़िल ए तन्हा रातें सजाई तुमने, ऐ! गुलबदन गुलनार। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में 💐आभार "रेख्ता फाऊंडेशन" उर्दू शायरी में प्रोत्साहित करने के लिये । Bg : गूगल इमेजेस के सौजन्य से.. 💐आभार...गुलनार ..♥️ #collabwithतन्हा_रातें #एक_गुलनार #yqbaba #मैकदा
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गुजरे लम्हें को मुठ्ठी में करलु बंध.... इश्क़ की दास्ता को याद बनालू.... फितरत - ए- वक्त है रुकता नहीं.... तुम्हारे जज़्बात को दिल से लगालू... तुम्हारे जज़्बात ही,जब सरेराह मिटा गये, महक-ए-ज़ाफ़रान से, मुझे हासिल क्या। ये शिकायत नहीं,इक मशवरा है ऐ पंखी!, मेरे अश्क़ से,अब तेरी तिश्नगी बुझेगी ना। इरादतन बदल लिया जो रास्ता मैंने कभी, किसी जन्म ख़ुद को माफ़ी दे पाओगे क्या। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
तुम्हारे जज़्बात ही,जब सरेराह मिटा गये, महक-ए-ज़ाफ़रान से, मुझे हासिल क्या। ये शिकायत नहीं,इक मशवरा है ऐ पंखी!, मेरे अश्क़ से,अब तेरी तिश्नगी बुझेगी ना। इरादतन बदल लिया जो रास्ता मैंने कभी, किसी जन्म ख़ुद को माफ़ी दे पाओगे क्या। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
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जो किरदार हो पसे- ए - मंज़र ना हो सकती इसे बड़ी शौहरत। मुझे चाहत नहीं शौहरत की, पस ए मंज़र रहने दो मुझे। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "पस-ए-मंज़र" "pas-e-manzar" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है पृष्ठभूमि, पीछे, वर्ग एवं अंग्रेजी में अर्थ होता है background. अब तक आप अपनी रचनाओं में पृष्ठभूमि, पीछे, वर्ग शब्द का प्रयोग करते आए हैं। उसकी जगह आप इस उर्दू शब्द पस-ए-मंज़र का प्रयोग कर सकते हैं।
मुझे चाहत नहीं शौहरत की, पस ए मंज़र रहने दो मुझे। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "पस-ए-मंज़र" "pas-e-manzar" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है पृष्ठभूमि, पीछे, वर्ग एवं अंग्रेजी में अर्थ होता है background. अब तक आप अपनी रचनाओं में पृष्ठभूमि, पीछे, वर्ग शब्द का प्रयोग करते आए हैं। उसकी जगह आप इस उर्दू शब्द पस-ए-मंज़र का प्रयोग कर सकते हैं।
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कर ख़ुदा की इबादत, कभी ना होगी बेकार...!! उनकी रेहमते- ए- इश्क़ से होगी तेरी वकार...!! क्या तुझे इल्म है गुलनार 'पंखुरी', इश्क़ खातिर दाँव पर मेरी वकार। तेरी बेमौक़ा बेरुखी हर कोशिश फ़ना, हुई रक़म-ए-इबादत मेरी बेकार।। #अशोक_अरुज #अलफ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में Bg : गूगल इमेजेस के सौजन्य से..
क्या तुझे इल्म है गुलनार 'पंखुरी', इश्क़ खातिर दाँव पर मेरी वकार। तेरी बेमौक़ा बेरुखी हर कोशिश फ़ना, हुई रक़म-ए-इबादत मेरी बेकार।। #अशोक_अरुज #अलफ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में Bg : गूगल इमेजेस के सौजन्य से..
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अनजान हम कहां रहते दिल की हसरतों से....! ना ही पशेमां है वक्त- बेवक्त की फितरत से..! *अक़ीद -पुख़्ता *अज़हद -बेहद बेवजह पशेमाँ ना हो वक़्त की, बे-वक़्त फितरत से, बेपरवाह ना रह,मुझे देख दिल में मचलती हरकत से। #अशोक_अरुज #अलफ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
*अक़ीद -पुख़्ता *अज़हद -बेहद बेवजह पशेमाँ ना हो वक़्त की, बे-वक़्त फितरत से, बेपरवाह ना रह,मुझे देख दिल में मचलती हरकत से। #अशोक_अरुज #अलफ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
read moreDR. SANJU TRIPATHI
मांँ बाप के दिल से होकर ही गुजरते हैं रास्ते प्यार के, मांँ बाप के संग ही हमें मिल सकते हैं रास्ते दुलार के। मांँ बाप ही संवारते हैं अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य को, मांँ बाप ही समझाते हैं बच्चों को रिश्तों की अहमियत को। मुसलसल हासिल रहें रास्ते दुलार के, हाथ थामे रखना तुम ताउम्र प्यार से। स्वेच्छाचार को न बनाना तलब अपनी, जो, जब चाहिए,हर लेना अधिकार से। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में ♥️ रास्ते दुलार के ♥️ #collabwithकोराकाग़ज़
मुसलसल हासिल रहें रास्ते दुलार के, हाथ थामे रखना तुम ताउम्र प्यार से। स्वेच्छाचार को न बनाना तलब अपनी, जो, जब चाहिए,हर लेना अधिकार से। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में ♥️ रास्ते दुलार के ♥️ #collabwithकोराकाग़ज़
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अंबेडकर से सीखा हमने स्वाभिमान से जीना मानवता को सदा ही अपना कर्म मानना। जीवन की हर चुनौती का डटकर सामना करना, आजादी और आत्म सम्मान के महत्व समझना। अम्बेडकर से सीखा छुआछूत मिटाना, नींव की ईंट को, मान-सम्मान दिलाना। जाति, धर्म और रंगभेद को मिटाते हुए, पिछड़ों को, समान अधिकार दिलाना। संविधान में शुमार मूलभूत अधिकार, मगर देश की रक्षा में, बूँद-बूँद बहाना। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
अम्बेडकर से सीखा छुआछूत मिटाना, नींव की ईंट को, मान-सम्मान दिलाना। जाति, धर्म और रंगभेद को मिटाते हुए, पिछड़ों को, समान अधिकार दिलाना। संविधान में शुमार मूलभूत अधिकार, मगर देश की रक्षा में, बूँद-बूँद बहाना। #अशोक_अरुज #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
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