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Dr Upama Singh
ऐ बादल! आज तो ज़मीं पर बरस जा। मन अपना बिन बारिश कितना तरस गया। काले मेघ बन ना जाने किधर चले जाते हो। हम सबको चिढ़ा कर धीरे से निकल लेते हो। हम तुम्हें ढूँढते रह जाते हैं अपने इधर। तुम बरस जाते हो जाकर उनके घर। मौसम–ए–इश्क़ है तू कहानी बन कर आजा। मेरे रूह को जो भिगो दे वह पानी बन कर आजा। #कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़जिजीविषा #yqdidi #kkdrpanchhisingh1 #बारिश #yqhindi #बरसात #बादल
Dr Upama Singh
“संघर्ष जीवन के” संघर्ष जीवन के होश संभालते ही शुरू हो जाता। संघर्ष से ही जीवन सुंदर और सुखमय हो पाता। संघर्ष ही हमें जीना सिखलाता यही हमें सफलता भी दिलवाता। धन से भी ज्यादा क़ीमती जीवन अपना ये हम सब को बतलाता। संघर्ष जीवन नित्य नया आयाम शिखर पर पहुंचता। जीवन में नया जोश नया उम्मीद का संचार भर जाता। जितना मेहनत जितना संघर्ष कामयाबी जीत का उतना ही शानदार होता। संघर्ष और सब्र जीवन का हर जीत का मीठा फल कहलाता। #kksc37 #संघर्षजीवनके #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkdrpanchhisingh1
Dr Upama Singh
घूंँघट की आड़ (लघुकथा) अनुशीर्षक में👇👇:// बात उन दिनों की है जब भारत देश में छोटे से उम्र में विवाह कर दी जाती थी। मेरी दादी का भी 13 साल की उम्र में मेरे दादाजी के साथ जो ख़ुद 15 साल के थे विवाह हो गया था और ढाई साल बाद गौना कर के दादाजी के साथ अपने ससुराल यानी हमारे घर चली आईं। खेलने कूदने और पढ़ने के उम्र में वो दांपत्य जीवन जीने लगी। एक दिन दादाजी से उन्होंने कहा की मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, तो दादाजी ने घर वालों के चुपके से उन्होंने गांँव के पाठशाला में प्रवेश दिला दिया और दादी से बोला की तुम हमें अपने घूंँघट से पूरा चेहरा ढक कर म
बात उन दिनों की है जब भारत देश में छोटे से उम्र में विवाह कर दी जाती थी। मेरी दादी का भी 13 साल की उम्र में मेरे दादाजी के साथ जो ख़ुद 15 साल के थे विवाह हो गया था और ढाई साल बाद गौना कर के दादाजी के साथ अपने ससुराल यानी हमारे घर चली आईं। खेलने कूदने और पढ़ने के उम्र में वो दांपत्य जीवन जीने लगी। एक दिन दादाजी से उन्होंने कहा की मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, तो दादाजी ने घर वालों के चुपके से उन्होंने गांँव के पाठशाला में प्रवेश दिला दिया और दादी से बोला की तुम हमें अपने घूंँघट से पूरा चेहरा ढक कर म
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सामाजिक दायरे (चिंतन) मानव एक सामाजिक प्राणी है और मानव विकास में सभ्यता का योगदान रहा। एक सुंदर स्वस्थ समाज में रहने के लिए हर इंसान को इस समाज के कुछ बनाए दायरे में रहते हैं जिससे किसी तरह की किसी को भी मानसिक, शारीरिक, आर्थिक पीड़ा ना झेलेनी पड़े। लेकिन कुछ लोग समय के साथ इसका दुरुपयोग में करने लगे हैं। जो कि नहीं होना चाहिए हमें अपनी सद्बुद्धि से इस दायरे को जो हमारे हित में हैं मानना चाहिए। #kkpc26 #कोराकाग़ज़ #kkdrpanchhisingh1 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़
Dr Upama Singh
इज़हार–ए–इश्क़ (ग़ज़ल) आरज़ू ये है की इज़हार–ए–इश्क़ कर दें। अल्फाज़ चुनते हैं तो लम्हें बदल जाते। इज़हार–ए–इश्क़ दिल का अजब हाल कर दे। आँखें तो रजामंद हैं लेकिन लब सोच रहे। इज़हार–ए–इश्क़ करना दिल को नहीं आ रहा। लेकिन इस दिल को बिन तेरे रहना भी नहीं आता। इज़हार–ए–इश्क़ का मज़ा तब मुझे आए। जब मैं ख़ामोश रहुँ तेरा दिल बेचैन रहे। तेरे लिपट कर आज़ दिल इज़हार–ए–इश्क़ कर रहे। तेरे बाहों के पनाह में आकर तुझ में खो रहे। #kkpc26 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkdrpanchhisingh1
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सदाचार (कविता) धन, जन, बुद्धि अपार लेकिन सदाचार बिन सब बेकार दान से दरिद्रता का सदाचार से दुर्गति का उत्तम बुद्धि से अज्ञानता का सदभावना से भय का इंसान के जीवन पर ये सारे बहुत प्रभाव छोड़ जाते सदाचार की करो रक्षा दुराचार से रहो कोसो दूर सदाचार से आता मर्यादा खुशियाँ देता अपरंपार जीवन में सदाचार जीने की सच्ची कला सिखलाता #kkpc26 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkdrpanchhisingh1
Dr Upama Singh
इज्ज़त कहानी बात कुछ दिन पहले की ही है। हमारे शहर के एक तरफ़ गोंड जाति के लोग रहते हैं। उस बस्ती से एक परिवार कॉलोनी में काम करने आता था। उस परिवार में पांँच बेटियाँ थीं। जिसमें से बड़ी और छोटी बहुत पढ़ने में तेज़ थीं। एक दिन बड़ी वाली किसी ब्राह्मण लड़के के साथ भाग गई। जब उसके मांँ बाप को पता चला तो ढूंँढना शुरू किया। दो दिन तक नहीं मिलने पर पुलिस में रपट लिखाया। पुलिस छानबीन में लग गई। तीसरे दिन पता चला कि मंदिर में दोनों शादी कर एक गेस्ट हाउस में रह रहे हैं। पुलिस उन लोग को पकड़ के थाने पर ले आई
बात कुछ दिन पहले की ही है। हमारे शहर के एक तरफ़ गोंड जाति के लोग रहते हैं। उस बस्ती से एक परिवार कॉलोनी में काम करने आता था। उस परिवार में पांँच बेटियाँ थीं। जिसमें से बड़ी और छोटी बहुत पढ़ने में तेज़ थीं। एक दिन बड़ी वाली किसी ब्राह्मण लड़के के साथ भाग गई। जब उसके मांँ बाप को पता चला तो ढूंँढना शुरू किया। दो दिन तक नहीं मिलने पर पुलिस में रपट लिखाया। पुलिस छानबीन में लग गई। तीसरे दिन पता चला कि मंदिर में दोनों शादी कर एक गेस्ट हाउस में रह रहे हैं। पुलिस उन लोग को पकड़ के थाने पर ले आई
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“छिपकली” हास्य कहानी अनुशीर्षक में👇👇 बात उस समय की है जब हम बनारस शहर में हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहे थे। एक रूम में दो लड़कियां रहती थी। जब हमने हॉस्टल रहना शुरू किया तो एक लड़की नम्रता रहने के लिए आई। वो क्लास, रूम और मेस सभी जगह अपने घर परिवार और अपने बारे में उसे यही कहते पाया कि हम लोग रजवाड़े खानदान से हैं, हम लोग के पास अस्सी करोड़ की प्रॉपर्टी है। तुम लोग मुझसे गरीब मेरे सामने टिक नहीं पाओगे। हम लोग ने कहा कि तुम्हारे पास तो करोड़ है, पचास पचास लाख हमें लोग को ट्रांसफर कर दो तुम्हारे बराबरी हम लोग भी आ जायेंगे। खैर बात आ
बात उस समय की है जब हम बनारस शहर में हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहे थे। एक रूम में दो लड़कियां रहती थी। जब हमने हॉस्टल रहना शुरू किया तो एक लड़की नम्रता रहने के लिए आई। वो क्लास, रूम और मेस सभी जगह अपने घर परिवार और अपने बारे में उसे यही कहते पाया कि हम लोग रजवाड़े खानदान से हैं, हम लोग के पास अस्सी करोड़ की प्रॉपर्टी है। तुम लोग मुझसे गरीब मेरे सामने टिक नहीं पाओगे। हम लोग ने कहा कि तुम्हारे पास तो करोड़ है, पचास पचास लाख हमें लोग को ट्रांसफर कर दो तुम्हारे बराबरी हम लोग भी आ जायेंगे। खैर बात आ
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अपने पराए कहानी अनुशीर्षक में👇👇 एक दिन हमारी कॉलोनी में एक दिन अचानक से पार्क में एक अधेड़ उम्र की महिला आ कर रहने लगी। कॉलोनी वाले इस बात पर चर्चा की, कौन है कहांँ से आई है या किसी के घर काम करने ले लिए आई है क्या? लेकिन जब सबको पता चला कि वो गांँव से आई है और उसके बेटे बहू ने घर से निकाल दिया, और कहा था कि वापस ना आना। कॉलोनी के कुछ लोग शाम को पार्क टहलने के लिए गए तो उससे पूछा कि ऐसे कब तक यहांँ रहोगी कुछ तो अपना रहने का ठिकाना बना लो। वो बोली अभी मेरे पास खाने के लिए तो एक रूपया तो है नहीं, रहने का व्यस्था कहा
एक दिन हमारी कॉलोनी में एक दिन अचानक से पार्क में एक अधेड़ उम्र की महिला आ कर रहने लगी। कॉलोनी वाले इस बात पर चर्चा की, कौन है कहांँ से आई है या किसी के घर काम करने ले लिए आई है क्या? लेकिन जब सबको पता चला कि वो गांँव से आई है और उसके बेटे बहू ने घर से निकाल दिया, और कहा था कि वापस ना आना। कॉलोनी के कुछ लोग शाम को पार्क टहलने के लिए गए तो उससे पूछा कि ऐसे कब तक यहांँ रहोगी कुछ तो अपना रहने का ठिकाना बना लो। वो बोली अभी मेरे पास खाने के लिए तो एक रूपया तो है नहीं, रहने का व्यस्था कहा
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पहला प्यार (कहानी) अनुशीर्षक में पहला प्यार शब्द सुनकर आँखों में चमक आ जाता है, दिल आज भी खिल उठता है। बात उस समय की है जब हम क्लास 11 में पढ़ते थे। स्कूल में प्रवेश लेने के बाद क्लास में पहला दिन था, सब एक दूसरे से परिचय कर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे थे। तभी एक लड़का क्लास में प्रवेश किया, उसे मेरी नज़रों ने क्या देखा पलक झपकाना भूल गई। तभी हमारे फिजिक्स के सर ने क्लास में प्रवेश किया। सब चुपचाप बैठ हाजरी देने लगे। मेरा दिल और आँखें दोनों ही उस लड़के शिव में अटक गया था। जब सर ने हाजरी लेनी शुरू की तब तक उसका नाम हमें पता च
पहला प्यार शब्द सुनकर आँखों में चमक आ जाता है, दिल आज भी खिल उठता है। बात उस समय की है जब हम क्लास 11 में पढ़ते थे। स्कूल में प्रवेश लेने के बाद क्लास में पहला दिन था, सब एक दूसरे से परिचय कर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे थे। तभी एक लड़का क्लास में प्रवेश किया, उसे मेरी नज़रों ने क्या देखा पलक झपकाना भूल गई। तभी हमारे फिजिक्स के सर ने क्लास में प्रवेश किया। सब चुपचाप बैठ हाजरी देने लगे। मेरा दिल और आँखें दोनों ही उस लड़के शिव में अटक गया था। जब सर ने हाजरी लेनी शुरू की तब तक उसका नाम हमें पता च
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