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तेजस
चाँद सा रोशन चेहरा जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से बाहों में वो चाँद सा रोशन चेहरा है आज काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज सादगी ही क्या कम कातिल है उसकी जो तसल्ली से वो बना संवरा है आज मुद्दतों से दो बूंद का जो प्यासा रहा 'शजर' इश्क़ से सराबोर वो दिल का सहरा है आज (मुकम्मल ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें) जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से बाहों में वो चाँद सा रोशन चेहरा है आज काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से बाहों में वो चाँद सा रोशन चेहरा है आज काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
read moreगौरव गोरखपुरी
चाँद का टुकड़ा जमीं पर उतरा और नजर मिलते ही आंखो में उतर गया आंखो से दिल में उतरा मुसाफिर और फिर कुछ पल में गुजर गया चांद #nojotohindi
चांद #nojotohindi
read moreraanjha
( 2-AM ) छत से अभी ही नीचे उतरा हूँ मेरी कलम भी मेरे साथ में थी शुक्र है के आज कुछ भुला नहीं है राज तेरी तस्वीर भी मेरे हाँथ में थी हाँ कुछ बातों को वहीं पर छोड़ दिया पर वो यादें तेरी इस रात में थी छत से अभी ही नीचे उतरा हूँ मेरी कलम भी मेरे साथ में थी on instagram - @official_raj_diaries #विचार #शायरी #कला Aadarsha singh Nidhi Dehru Internet Jockey Ruchi Rohella Monika
तेजस
जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद, वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से, बाहों में समाया चाँद सा वो चेहरा है आज काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें, क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज सादगी ही क्या कम कातिल है उसकी, जो तसल्ली से वो बना संवरा है आज जिन बेबाक नज़रों के घायल हजार हैं, वल्लाह उन पर हया का पहरा है आज हुस्न चाँद का निखरा है घटा के साए में, के शानो पे उसके जुल्फ बिखरा है आज निखरे सहर के साथ निखरती है रंगत, मिसाल है हसीं शाम का रंग गहरा है आज मुद्दतों दो बूंद का जो प्यासा रहा तेजस, उसके इश्क़ से सराबोर वो सहरा है आज
तेजस
जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से बाहों में समाया चाँद सा वो चेहरा है आज काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से बाहों में समाया चाँद सा वो चेहरा है आज काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में, बन कर शत्रु ललकारा है। बिन लड़े शस्त्र तज दूँ कैसे, अन्तर्मन ने धिक्कारा है। है कवच नहीं, कुंडल भी नहीं, छद्म इंद्र कहो क्या मांगेगा। सखा हेतु एक धर्म निभाने, कर्ण ये फिर से जागेगा। भगवन भी जो बन शत्रु आये, अभय-दान नहीं मांग रहा। परिभाषित होता मनुज कर्म से, हर बाधा जो है लांघ रहा। कभी मैं बढ़ता, कभी मैं रुकता, रुक अन्तर्विवेचना करता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। बेर लिए कहाँ सबरी बैठी, केवट ने कब नाव उतारा था। अग्निपरीक्षा सीता थी देती, आ कब किसने उबारा था। मैं बाल्मीक मैं राम भी हूँ, मेरी ही अग्नि परीक्षा रही। लक्ष्मण रेखा भी मैंने लांघी, अनन्त मेरी ही इक्षा रही। निज को पढ़ना, निज को लिखना, निज में ही संसार समाहित था। भले बुरे में फर्क करूँ क्या, धमनी रक्त वही तो प्रवाहित था। कभी बैठ एकांतवास में, घाव मैं अपने भरता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। भीष्म कहो बन जाऊं कैसे, कैसे शर-शय्या पड़ा रहूँ। रहूँ मूक द्रष्टा बन कैसे, हो पाषाण मैं खड़ा रहूँ। मैं दुर्योधन जंघा नहीं न द्रोण-ग्रीवा, जो तोड़ा और उतारा जाउँ। अब रहा अभिमन्यु भी नहीं, फंस चक्रव्यूह जो मारा जाउँ। भुजा मेरी भुजबल भी मेरा, बन प्रचंड रण में उतरा। हुंकार लिए, प्रलय लिए, इस अखण्ड वन में उतरा। विक्रम भी मैं, बेताल भी मैं, प्रश्न स्वयं से करता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,
read moreanonymous
अभी अभी तेरे दर पे ख़्याल उतरा है तेरे पुराने अहद पे नया सवाल उतरा है ये कौन है जो मर कर नहीं मरता वही बेचैनी वही मलाल उतरा है। कहां हो तुम हम ख़्याल मेरे ... #कविशाला #nojoto #poetry #musing #love
Vivek Saini
आए थे मयखाने में पीने की फ़रियाद लेकर पर ना नशा चढ़ा ना ही उनका नशा उतरा #Vivek Saini Internet Jockey Nitu Sharma Vidya Bhushan Kumar Sarika Srivastava ayesha #nojoto #mekhana #drink #for #you #आए #थे #मयखाने #में #पीने #की #फ़रियाद #लेकर #पर #ना #नशा #चढ़ा #ना #ही #उनका #नशा #उतरा
शिखर सिंह
"इशक़ बुखार ऐसा न उम्र ही पूछी बस चढ़ गया, जब उतरा तो सारा रंग ही लेकर उतर गया, कुछ सीने से उतरा आहिस्ता आहिस्ता, कुछ तो कमबख्त आँखों मे जाके भर गया।" "इशक़ बुखार ऐसा न उम्र ही पूछी बस चढ़ गया, जब उतरा तो सारा रंग ही लेकर उतर गया, कुछ सीने से उतरा आहिस्ता आहिस्ता, कुछ तो कमबख्त आँखों मे जाके भर गया।"
"इशक़ बुखार ऐसा न उम्र ही पूछी बस चढ़ गया, जब उतरा तो सारा रंग ही लेकर उतर गया, कुछ सीने से उतरा आहिस्ता आहिस्ता, कुछ तो कमबख्त आँखों मे जाके भर गया।"
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