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Krish Vj
3) रिमझिम :-कहानी "आया सावन झूम कर" 🌧️🌧️ कृष्णा और दिया एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे, इन दोनों के प्रेम को कुछ वक़्त बीत चुका था पर लगता था प्यार इनका सदियों से चला आ रहा है। पहली मुलाक़ात के बाद उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी, बहुत समय गूजर चुका था। सावन का महीना चल रहा था। एक दिन कृष्णा के पास फोन आया, उधर से दिया कि आवाज आई की मैं आने वाली हूँ कल! जयपुर तुमसे मिलने । यह सुनकर कृष्णा झूम उठा, उसने फोन रखा और गाना गुनगुना उठा..... "आया सावन झूम कर, के आया सावन झूम कर..... आज दोनों मिलने वाले थे, सुबह स
कृष्णा और दिया एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे, इन दोनों के प्रेम को कुछ वक़्त बीत चुका था पर लगता था प्यार इनका सदियों से चला आ रहा है। पहली मुलाक़ात के बाद उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी, बहुत समय गूजर चुका था। सावन का महीना चल रहा था। एक दिन कृष्णा के पास फोन आया, उधर से दिया कि आवाज आई की मैं आने वाली हूँ कल! जयपुर तुमसे मिलने । यह सुनकर कृष्णा झूम उठा, उसने फोन रखा और गाना गुनगुना उठा..... "आया सावन झूम कर, के आया सावन झूम कर..... आज दोनों मिलने वाले थे, सुबह स
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2) रिमझिम:- ग़ज़ल अब के सावन, यह बात हो गई अपने 'प्रेम' से मुलाकात हो गई सूखा था, हर मंज़र ज़िंदगी का आज सुकून की बरसात हो गई ख़ामोश लब थे, दोनों के कब से आज 'आँखों' से ही बात हो गई मशगूल थे हम आगोश में उनके हौले-हौले से कब ये रात हो गई वीरान था यह सावन बिन उनके मिले जो हम, ये करामात हो गई एहसास उमड़ पड़े कई "कृष्णा" ख़्वाब, हक़ीक़त के नाम हो गई #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #कोराकाग़ज़ #रिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम 2) रिमझिम:- ग़ज़ल अब के सावन, यह बात हो गई अपने 'प्रेम' से मुलाकात हो गई सूखा था, हर मंज़र ज़िंदगी का आज सुकून की बरसात हो गई
#collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #कोराकाग़ज़ #रिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम 2) रिमझिम:- ग़ज़ल अब के सावन, यह बात हो गई अपने 'प्रेम' से मुलाकात हो गई सूखा था, हर मंज़र ज़िंदगी का आज सुकून की बरसात हो गई
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1) कविता :-रिमझिम बिन तेरे तपन को बढ़ाती है यह बारिश की बूँदें मन को मेरे, तिल तिल जलाती बारिश की बूँदें सावन अधूरा तुम बिन, आँखों में ये नमी सी है भीगता सिर्फ़ यह तन, मन सुखाती है यह बूँदें मिट्टी की महक याद दिलाती, सोंधी खुशबु तेरी प्यासा हूँ, सावन में भी, बरसती बारिश की बूँदें यादों का सावन निराला, ताकती पलकें मेरी ये यार कहाँ मिलने वाला, 'तड़पाती' मुझे यह बूँदें रिमझिम बरसती घटायें, ये ख़्वाब तोड़ जाती है मिलन होगा सावन में, पर रह जाती है यह बूँदें #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमकविता #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिम
Poonam Suyal
बादल (अनुशीर्षक में पढ़ें) बादल एक सैलाब को ख़ुद के अंदर समेटते रहे बादल जब सह ना सके तो आख़िर बरस ही गए बादल सब्र की इन्तहा उनकी हो गई थी पार अपने जज्बातों को कब तक छुपाते बादल
बादल एक सैलाब को ख़ुद के अंदर समेटते रहे बादल जब सह ना सके तो आख़िर बरस ही गए बादल सब्र की इन्तहा उनकी हो गई थी पार अपने जज्बातों को कब तक छुपाते बादल
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पिया तुम्हारी याद सताए (अनुशीर्षक में पढ़ें) पिया तुम्हारी याद सताए टिप-टिप बरसा पानी, दिल में जगाए प्यास उनसे मिलने की, जगने लगी इक आस समा हुआ रंगीन,
पिया तुम्हारी याद सताए टिप-टिप बरसा पानी, दिल में जगाए प्यास उनसे मिलने की, जगने लगी इक आस समा हुआ रंगीन,
read moreNitesh Prajapati
रिमझिम (कहानी) एक छोटी सी प्रेम कहानी। पूरी कहानी कृपया अनु शीर्षक मे पढ़े। रचना क्रमांक :-3 @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ "रिमझिम" (कहानी) शाम का वक़्त था, आसमान में बादल गरज रहे थे, तेज हवाये भी चल रही थी, रहमान जहां खड़ा था वहां दूर-दूर तक कोई नहीं था सिर्फ सन्नाटा और घने बादल थे।रहमान आकाश की तरफ देखकर चिंतातूर हो रहा था कि घर कैसे पहुंच। इतने में ही उसकी नजर दूर से आते एक लड़की पर पड़ती है, लड़की रहमान की तरफ चल कर आ रही थी। थोड़ी नजदीक आए तो रहमान ने देखा कि वह बहुत डरी सी थी, चेहरा उतरा उतरा हुआ था और रहमान को देखकर तो वह बहुत डर गई क्योंकि रास्ता पूरा सुमस
रचना क्रमांक :-3 @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ "रिमझिम" (कहानी) शाम का वक़्त था, आसमान में बादल गरज रहे थे, तेज हवाये भी चल रही थी, रहमान जहां खड़ा था वहां दूर-दूर तक कोई नहीं था सिर्फ सन्नाटा और घने बादल थे।रहमान आकाश की तरफ देखकर चिंतातूर हो रहा था कि घर कैसे पहुंच। इतने में ही उसकी नजर दूर से आते एक लड़की पर पड़ती है, लड़की रहमान की तरफ चल कर आ रही थी। थोड़ी नजदीक आए तो रहमान ने देखा कि वह बहुत डरी सी थी, चेहरा उतरा उतरा हुआ था और रहमान को देखकर तो वह बहुत डर गई क्योंकि रास्ता पूरा सुमस
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रिमझिम (ग़ज़ल) रिमझिम बारिश की बूँदे बदलती है अपना रूप, कभी भाप तो कभी पानी लेकिन बरसती है तो धरा पर। साफ करती है यह पत्तों की धूल और देती है नवचेतन, लेकिन ओस की बूँदे गिरती है तो सिर्फ धरा पर। बारिश की बूँदे दो प्रेमियों को भीगाकर कराती है मिलन, दोनों को नई जिंदगी देकर गिरती है तो सिर्फ धरा पर। धरतीपुत्र के चेहरे पर चमक और मन को सुकून, देकर बरसती है रिमझिम बारिश की बूँदे धरा पर। भाप की बूँदे चाहे कितना भी छुप ले बादल में, सावन उसे गिराता है हमेंशा अपनी प्रेयसी धरा पर। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-2 #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़
रचना क्रमांक :-2 #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़
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"रिमझिम बारिश" टूटता है जब धरा के, सब्र का बांध, गिरती है रिमझिम बारिश की बूंँदे, धरा की प्यास बुझाने के लिए। धरतीपुत्र की जान में जान आती है, और नये बीज में अंकुर फूटते हैं, पत्तों से ओस की बूंँदे गिरती है और, एक आशिक को अपनी प्रेयसी याद आती है। गली मोहल्लों में पानी का प्रवाह बहता है, बच्चों को कागज़ की नाव याद आती है, और एक दूर बैठे प्रीतम को, अपनी प्रियतमा याद आती है। रिमझिम बारिश है, एक ऐसा अनछुआ अहसास, के कोई भीगता है मीठी यादों से, तो कोई भीगता है अपने आँसूओ से। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-1 #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़
रचना क्रमांक :-1 #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़
read moreDr Upama Singh
बरसात की ख्वाहिश बरसात का मौसम कहांँ हम कहांँ तुम रिमझिम बरसते बादल पुकारता तुझे मेरा आँचल अब तो लौट आओ सजन दिल में जगी है प्रेम अगन बारिश की बूंँद बन बरस जा मुझ पर समंदर बन समेट लूंँ हर बूंँद को बारिश के बहाने दिल के तराने ढूंँढें दिल तुझसे मिलने के बहाने बस तेरे संग भीग लूंँ यही ख्वाहिश है आज भी हमें उस बारिश की तलाश है #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #रिमझिमकविता #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिम #collabwithकोराकाग़ज़
Tarot Card Reader Neha Mathur
आज उनकी शोख अदाओं की बरसात हो रही है एहसास-ए-बूंदों की आसमां-ए-आरज़ू से मुलाकात हो रही है, संदल ख्वाहिश बाहों मे आने की राज-ए-बात हो रही है हिज्र में रूह-ए-तन्हाई की तासीर घात हो रही है, साकी की अदाओं से मयखाने में करामात हो रही है हुस्न की आशिकी पर नज़राना-ए-इनायात हो रही है, सुर्ख गुल की गुलशन-ए-बहार से खुशनुमा नग़्मात हो रही है मेरे शोख लबों की तेरी आंखों से सवालात हो रही है, दिल-ओ-ज़हन पर तेरी दिवानगी की असर की बात हो रही है तेरी मोहब्बत-ए-इबादत की मुझपर टूटकर बरसात हो रही है। दूसरा चरण:- रिमझिम गज़ल #creditgoogleimages #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकागजरिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता
दूसरा चरण:- रिमझिम गज़ल #creditgoogleimages #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकागजरिमझिम #रिमझिमग़ज़ल #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता
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