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Krish Vj

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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ख़ुशनुमा पल और  ये रंगीन  नज़ारा छोड़ जाएंगे
सफ़र ख़तम  मेरा, क़दमों  के निशाँ छोड़ जाएंगे
जीना है तुम्हें, भूलकर  हमें ओ  प्यारे महबूब मेरे
तेरे वास्ते ये यादों का हसीन  सफ़र छोड़ जाएंगे

रोना नही यूं  हमे याद  करके, मोती ये ना बहाना
जिए जो  साथ-साथ  हमने, वह पल छोड़ जाएंगे
सफ़र ख़तम मेरा हुआ, आगे जीना है तुम्हें यारा
बहती साँस संग तेरे लिए  ये खुशबु छोड़ जाएंगे

जो छूयेगी हवा तुम्हें ये  महका देगी तेरा तन-मन
विरह की आग मेें, बूंदे  बारिश की ये छोड़ जाएंगे
आना तुम  हमारे मिलन  की 'यादगार' जगह पर
ख़्वाहिश मुकम्मल हो सब तेरी दुआ छोड़ जाएंगे  ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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Poonam Suyal

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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जहाँ भी जाओ तुम, 
कदमों के निशाँ अपने छोड़ते चलो 
ना मिले गर रास्ता, 
अपनी बनाई डगर पर चलते चलो 
ना करो परवाह,
कोई समझा नहीं तुम्हें 
ये दुनिया भी मानेगी तुमको,
अपने कर्म तुम बस करते चलो 
तुम्हारे छोड़े निशाँ पर ही चलेगी सभी,
तुम उनके लिए भी राह बनाते चलो 
 ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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Nitesh Prajapati

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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तेरे क़दमों के निशाँ आज भी, 
उभर आते हैं मेरे घर के आँगन में,
तू तो चली गई, 
लेकिन पीछे छोड़ गई तेरे निशाँ। 

मुलाकात तो हुई हमारी भी, 
लेकिन कुछ वक़्त के लिए ही, 
पता नहीं विधाता ने आधी लकीरे खींची थी के, 
मिल के भी हम एक ना हो सकें। 

जब भी आँगन में महसूस करता हूंँ, 
तेरे कदमों के निशाँ तब, 
समुंदर की लहरों की तरह, 
छा जाती है तेरी याद इस दिल में। 

तेरे क़दमों के बिना, 
आज सुना पड़ा है मेरा आँगन,
एक बार फिर से आकर,
दीया जलाकर पावन कर जा मेरा आँगन। 

-Nitesh Prajapati 

 ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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jagruti vagh

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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हम दूसरों के दिखाए राह पे चलने वाले कहाँ
खु़द का अलग रास्ता हो जिसपे चले ये जहाँ

अभी तो इब्तिदा-ए-सफ़र ही मुकम्मल किया है
अभी बाकी हैं हासिल करना ख़्वाबों का कारवाँ

मिट्टी से मिल चुके,अब काँटों से मिल हैं रहे
ठोकरें मिलेगी,मिलेगा कामयाबी का आसमाँ

न थकना ,न रूकना है बस चलते जाना है
हौसलों की उड़ान भर लिखेगे नयी दास्ताँ

चलो"राही" दौड़ते दौड़ते तुम्हें उड़ते जाना है
आख़िरी मंजिल पर हो तुम्हारे क़दमों के निशाँ
 ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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ashutosh anjan

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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सफ़र  ख़त्म नही हुआ  और मैं चलता रहा धीरे-धीरे,
धूप ज़िंदगी की निकली मग़र मैं ढलता रहा धीरे-धीरे।

मेरी  बर्बादियों का  अंदाज़ा तो  मेरी सूरत से न होगा,
मैं इक बुझा हुआ चिराग़ था जो जलता रहा धीरे-धीरे।

मेरे  क़दमो  के निशां बयाबां   में ढूंढ़ने  वालों से पूछो,
कांटो में  भी रहकर दिल मेरा  मचलता रहा धीरे-धीरे।

और   एक  शख्स  जो बचपन  से मेरा अंदर  रहता है,
'अंजान' ख़्वाहिशों में भी दबकर पलता रहा धीरे-धीरे। ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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Dr Upama Singh

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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छोड़ तेरे क़दमों के निशांँ वक्त चलता रहता है।
जो एक बार चला जाता वो फ़िर कहांँ मिलता है।

भटकता रहता है मेरा मन वक्त के रेत पर ढूँढ़ने जब जाता है।
तेरा वजूद तो नहीं तेरे क़दमों के निशांँ मिल जाता है।
 
साहिल पर हम ढूंँढ़ते तेरे क़दमों के निशांँ।
यादों के पन्नों पर भूली तेरी मेरी दास्ताँ।

ख़ुद–ब–ख़ुद वो  चलते रहते क़दम मेरे कहीं ठहरते नहीं।
तेरे प्यार के निशांँ को मिटने हरगिज़ हम देते नहीं।

आपके के क़दमों के निशांँ दिल के रेत से मिटते नहीं।
ये इश्क़ का मंज़र यूँही चलता रहता कारवांँ रुकता नहीं।

 

 ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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Divyanshu Pathak

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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सबकी अपनी चाहत सबकी अपनी ख़्वाहिश
मेरी बस इतनी सी है कि तुम मिलने आओ...
सिर्फ़ मुझसे।

अपनी सभी बंदिशों से मुक्त होकर...
पाने और कुछ खोने की रंजिशों के बीच
अपने ख़्वाबों को संजोए।

किसी मंदिर की दहलीज़ पर
एक साथ सज़दे में झुको
और मेरे साथ गिन गिन कर सीढियां चढो

पास में बहती नदी के किनारे
रेत पर बनते तेरे और मेरे क़दमों के निशाँ
अपनी पलकों में संजोए।

तुम रेलवे स्टेशन की किसी बैंच पर बैठो
बारिश हो , ठण्डी हवा चले और मैं--
सामने वाली चाय की थड़ी से
भीगता हुआ तेरे और मेरे लिए
दो कप चाय लेकर आऊँ। ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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Tarot Card Reader Neha Mathur

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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तेरी दिल की नम ज़मी पर
हौले हौले से मैने बनाए है
दश्त से लेकर आब तक 
अहद-ए-वफा केकिस्से 
रूहानी किताब मे 
दर्ज कराए है
तिश्नगी सी है तेरे इश्क मे
हमने भी 
इम्तिहान-ए-इंतज़ार मे 
काबिल होने के 
पूरे इंतज़ाम करवाए है।

 ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

नेहा उदय भान गुप्ता

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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जी रही हूँ बहुत ही दर्द में, मगर फ़िर भी जीकर दिखाएँगे
हार रही हूँ हर कदम पर, फ़िर भी कुछ करके दिखाएंगे,
मत ढूँढना दोस्तों, तुम मुझे कभी, इस बेरहम दुनियाँ में,
जायेंगे कही दूर, पर अपने कदमों के निशां छोड़ जायेंगे।

मिटा ना पाए लहरे निशां को, ऐसे पद चिन्ह छोड़ जायेंगे,
भूला ना पाए कोई मुझको, सबसे ऐसे नाते जोड़ जायेंगे।
कर ले ऐ जमाना आज़ मुझको, नज़र अंदाज़ चाहे जितना,
मिटा रिश्ते, एक दिन खुदी हम सभी से, मुँह मोड़ जायेंगे।

उठ रही है चिंगारी सीने में, हम भी कही आग लगा जायेंगे,
प्रतिशोध की ज्वाला में धधक रही, ज्वाला बुझाके जायेंगे।
रखके सब हिसाब, इन निगाहों में है जिनके नाम और पता,
कर प्रतिकार सभी का, फ़िर ये माटी का पुतला छोड़ जायेंगे।। ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

Shravan Goud

♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।

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जिंदगी को यु ही जाया न करों
वैसे दुनिया से जाओगे तो कदमों 
के निशां भी नही मिलेंगे। ♥️ Challenge-977 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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