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Krish Vj

नगर में बहुत बड़ा सेठ रहता था। वो धन-धान्य से परिपूर्ण था। नगर में एक श्रेष्ठ महात्मा विराजते थे। उनके मुखारविंद से हमेशा ज्ञान की गंगा बहती थी । वो जीवन को सरल तरीके से कैसे जिया जाए? बताते रहते थे। कहते थे जो कुछ है, वह ईश्वर का है और हमें अपने कर्मों की अनुसार सुख और दुख की प्राप्ति होती है। "क्या तेरा क्या मेरा सब कर्मो के अनुसार" उक्ति दोहराते रहते थे। सेठ को अपने व्यापार से ही फुर्सत नहीं थी। वह स्वार्थ और बेमानी के नक्शे कदम पर चल पड़ा था । उसे सिर्फ धन की चाहत थी । अपने कर्मों से वो जान बूझकर अनजान था । कभी महात्मा के प्रवचन और ज्ञान का लाभ नहीं ले पाया। सेठ का व्यापार अच्छा चल रहा था । कुछ वक्त बाद समय परिवर्तित हुआ । उसको बहुत हानी हुई, हानी इतनी बड़ गई, जिससे सेठ राजा से रंक हो गया। निर्धन होकर भटकता रहा। अपने किए कर्मों को सोचता रहा और अपने किए पर पश्चाताप करने लगा। कुछ वक़्त बाद उसका महात्मा से साक्षात्कार हुआ उनके वचन सुन कर उसके मन मे बुरे कर्म छोडकर अच्छे कर्म करने की ईच्छा जागी । वो अब यही सोचता क्या तेरा क्या मेरा सब ईश्वर का है। वो मेहनत और ईमानदारी से कर्म करने लगा।कुछ समय बाद वो समृद्धी से पूर्ण हो गया। #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #अल्फाज_ए_कृष्णा #kkpc15

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क्या तेरा क्या मेरा (लघु कथा)           नगर में बहुत बड़ा सेठ रहता था। वो धन-धान्य से परिपूर्ण था। नगर में एक श्रेष्ठ महात्मा विराजते थे। उनके मुखारविंद से हमेशा ज्ञान की गंगा बहती थी । वो जीवन को सरल तरीके से कैसे जिया जाए? बताते रहते थे। कहते थे जो कुछ है, वह ईश्वर का है और हमें अपने कर्मों की अनुसार सुख और दुख की प्राप्ति होती है। "क्या तेरा क्या मेरा सब कर्मो के अनुसार" उक्ति दोहराते रहते थे। सेठ को अपने व्यापार से ही फुर्सत नहीं थी। वह स्वार्थ और बेमानी के नक्शे कदम पर चल पड़ा था । उसे सिर्फ धन की चाहत थी । अपने कर्मों से वो जान बूझकर अनजान था । कभी महात्मा के प्रवचन और ज्ञान का लाभ नहीं ले पाया।
          सेठ का व्यापार अच्छा चल रहा था । कुछ वक्त बाद समय परिवर्तित हुआ । उसको बहुत हानी हुई, हानी इतनी बड़ गई, जिससे सेठ राजा से रंक हो गया। निर्धन होकर भटकता रहा। अपने किए कर्मों को सोचता रहा और अपने किए पर पश्चाताप करने लगा। 
          कुछ वक़्त बाद उसका महात्मा से साक्षात्कार हुआ उनके वचन सुन कर उसके मन मे बुरे कर्म छोडकर अच्छे कर्म करने की ईच्छा जागी । वो अब यही सोचता क्या तेरा क्या मेरा सब ईश्वर का है। वो मेहनत और ईमानदारी से कर्म करने लगा।कुछ समय बाद वो समृद्धी से पूर्ण हो गया।

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Krish Vj

चिंतन:_ मनुज उस विधाता की सबसे सुंदर कृति हैं । कर्म इंसान को अच्छा और बुरा बनाते है । कर्मों के पीछे हमारी सोच और संस्कार जिम्मेदार है । निज पर नियंत्रण और अनुशासन अत्यंत आवश्यक है ,अन्यथा हम भटक जाते है । मन में गलत विचार विचरण करते हैं और वही हमारे कार्य व्यवहार में दिखाई देते हैं । आजकल हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं, अपनी वासना की पूर्ति के लिए हम नारी की इज्ज़त को भी दाव पर लगा देते हैं। क्षण भर के सुख के लिए स्त्री की मान मर्यादा इज्ज़त सब नीलाम कर दे #बलात्कार #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkpc15 #अल्फाज_ए_कृष्णा

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बलात्कार:_ चिंतन          चिंतन:_
  मनुज उस विधाता की सबसे सुंदर कृति हैं । कर्म इंसान को अच्छा और बुरा बनाते है । कर्मों के पीछे हमारी सोच और संस्कार जिम्मेदार है । निज पर नियंत्रण और अनुशासन अत्यंत आवश्यक है ,अन्यथा हम भटक जाते है । मन में गलत विचार विचरण करते हैं और वही हमारे कार्य व्यवहार में दिखाई देते हैं ।
          आजकल हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं, अपनी वासना की पूर्ति के लिए हम नारी की इज्ज़त को भी दाव पर लगा देते हैं। क्षण भर के सुख के लिए स्त्री की मान मर्यादा इज्ज़त सब नीलाम कर दे

Krish Vj

पास आओ, मुझे आकर गले से लगाओ
लगी हैं जो प्रेम  अगन  सीने में, बुझाओ 

दीवानी हूँ में तेरी, दीवानगी की हद नहीं 
तेरी ख़्वाहिश है,   तेरे सिवा चाहत नहीं 

अपने बाज़ुओं के घेरे में कैद करके मुझे
उम्र भर तुम अपने सीने से लगाओ मुझे

रब से  ज्यादा प्यारा  मुझे तू ओ "सनम"
सदा तुम प्यार की "छाँव" में रखना मुझे  ग़ज़ल:_
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Krish Vj

मेरी आँखों का  प्यारा है तू
मेरे  दिल की  चाहत है  तू 

सब कुछ है,  मेरे  लिए  तू 
कुछ भी नहीं,   मैं बिन तेरे 

मेरी इन आँखों में सपने तेरे
मेरा तन-मन  सब तेरे लिए 

नाराज नहीं होना यूँ मुझसे 
दिल टूटकर बिखर जाएगा 

गुस्सा छोडकर ,लौट आ तू 
मैं, अँखिया बिछाए बैठी हूँ  कविता:_

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DR. SANJU TRIPATHI

सनम (ग़ज़ल)
सारे जहाँ की खुशियाँ लुटाऊँ तुझ पर मेरे सनम,
हर जनम में मेरे ही बनोगे ले लूँ मैं तुझसे कसम।

तेरे दिल से जुड़ा मेरे दिल का ये रिश्ता है अनोखा,
रहेंगे साथ-साथ यूँ ही हम हमेशा जन्मों- जनम।

मिठास तेरे प्यार की, यूँ ही बरकरार रहे मेरे लिए,
आने ना देंगे कभी कोई खटास, खाते हैं ये कसम।

निभाएँगें हर एक वादा और पूरी करेंगे हर कसम,
खुदा से माँगते हैं दुआ व रब से अरदास करेंगे हम।

हर खुशी हर गम में हमेशा, तेरा साथ निभाएंगे हम,
हर मुश्किल हालात में भी, हाथों में हाथ होगा सनम।

तू सँग रहेगा, तो हर गम भी हम मुस्कुरा के सह लेंगे,
हर गम को खुशी में बदल कर, जीना सीख लेंगे हम।

तुझसे ही खुशियाँ हैं, तू "एक सोच" की पूरी दुनियाँ है,
तू है हमसफ़र, हमकदम, तेरा हमसाया बन रहेंगे हम।
-"Ek Soch"



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DR. SANJU TRIPATHI

घर लौट आओ (कविता)

तुम्हारा साथ पाने के लिए हमने अपने हर रिश्ते को दांँव पर लगा दिया,
तुमने हमारे यकीन पर यकीन ना करके हमारे यकीन को झुठला दिया।

जमाने ने हमारे बीच की गलतफहमियों का फायदा उठाकर दरारें डाल दीं,
तुमने हम पर यकीन न किया जमाने की बातों में आकर रिश्ता तोड़ दिया।

घर लौट आओ हमारा दिल आज भी तुम्हारा ही बेसब्री से इंतजार करता है
चाहता है बस तुमको ही और तुमको ही दिल-ओ-जान से प्यार करता है।

अब लौट कर आना तो फिर वापस कभी दोबारा कहीं छोड़कर मत जाना,
ना किसी और से दिल लगाना, ना कभी भी जमाने की बातों में तुम आना।

जिंदगी को बस प्यार से सजाना कोई गिला शिकवा हो तो हमसे ही करना,
जमाने की बातों में अब ना आना बस एक दूसरे पर ही हमेशा यकीन करना।

 #कोराकागज 
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#विशेषप्रतियोगिता

DR. SANJU TRIPATHI

#कोराकागज #collabwithकोराकागज #kkpc15 #विशेषप्रतियोगिता राघव और मोहन के बीच में अमीरी गरीबी की दीवार तो थी ही साथ ही साथ मोहन नीची जाति का भी था, परन्तु दोनों की दोस्ती बहुत ही गहरी थी वह दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे और कहीं भी जाते थे तो हमेशा साथ साथ रहते थे उनकी इस दोस्ती से लोगों को बहुत ही एतराज रहता था पर दोनों ही पढ़ने में बहुत अच्छे थे इसलिए कभी किसी ने उनसे कुछ नही कहा। एक बार दोनों कहीं घूमने गए थे रास्ते में दोनों को भूख लगी राघव ने मोहन से बोला कि चलो कुछ खा लेते हैं क्योंकि मो

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क्या तेरा क्या मेरा (लघुकथा)

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राघव और मोहन के बीच में अमीरी गरीबी की दीवार तो थी ही साथ ही साथ मोहन नीची जाति का भी था, परन्तु दोनों की दोस्ती बहुत ही गहरी थी वह दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे और कहीं भी जाते थे तो हमेशा साथ साथ रहते थे उनकी इस दोस्ती से लोगों को बहुत ही एतराज रहता था पर दोनों ही पढ़ने में बहुत अच्छे थे इसलिए कभी किसी ने उनसे कुछ नही कहा।
एक बार दोनों कहीं घूमने गए थे रास्ते में दोनों को भूख लगी राघव ने मोहन से बोला कि चलो कुछ खा लेते हैं क्योंकि मो

DR. SANJU TRIPATHI

बलात्कार (चिंतन)

दुनियांँ के हर कोने में रोज न जाने कितनी ही बहू, बेटियों की आबरू लुटती रहती है।
होती हैं बेशर्मी और दरिंदगी की हदें पार तब होने लगती है सारी इंसानियत शर्मसार।

इंसान बनके करते हैं हैवानियत, इंसानियत भूल दुष्कर्म करते रिश्तों को भूल जाते हैं।
जाने कैसे हो जाते हैं इतने दरिंदे कि किसी मजबूर,लाचार की आवाज न सुन पाते हैं।

कहीं भी सुरक्षित नहीं है बहू बेटियां हर दम ही अनजाने डर के साये में जीती रहती हैं।
शर्मसार इंसानियत को करते जरा सी मौज मस्ती खातिर इज्जत को कौड़ियों में तौलते।

बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं पर अंकुश लगा रोकने के कठोरतम प्रयास करने होंगे।
बलात्कारियों और इंसानियत को शर्मसार करने वालों को सरेआम फांसी चढ़ाना होगा।

बहुत बना लिये कागजी, खोखले, दिखावटी खानापूर्ति करने वाले कानून और नियम।
नियमों का सख्ती से हकीकत में पालन कर नयी निर्भया, प्रियंका बनाने से रोकने होगा।


     #कोराकागज 
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Writer1

सनम‌ (ग़ज़ल)
***************
हम-नफ्स दोषी नहीं,‌हम खुद के सताए हुए हैं।
बिरहा की आग में !..तपिश के सताए हुए है ।।

इस खुलूस से‌ वो नकारते हमारी हर बात को।
हम खुद ही अपने कदम पीछे हटाए हुए हैं  ।।

महफूज़ रखा है नाम उनका लबों पर‌ हमनें।
हम अपनी तस्वीरों में उनको छुपाए हुए हैं।।

वो मासूम हम-नशी!.. महर औ माह सा ।
ताबताक चेहरे से हम धोखा खाए हुए हैं।।

दिल-ओ-दिमाग में ' रोज़ी' छाए इस क़दर।
उनकी यादों  में  अपने अंदर समाए हुए  हैं।।  #cinemagraph
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Writer1

क्या तेरा क्या मेरा (लघुकथा)
*********************
एक गांव नागरा  में 3 दोस्त रहते थे। छोटू, पिंकू और रहीम  तीनों तीनों की आपस में बहुत पक्की दोस्ती थी। छोटू और पिंकू की आपस में ज्यादा बनती थी और रहीम से थोड़ी सी कम। एक दिन तीनों जंगल में घूमने के लिए गए तो अचानक वहां पर उनको शेर नज़र आया। तीनों डर गए और भाग के पेड़ के पीछे छुप गए। परंतु शेर था खून का प्यासा,‌ उसको तो इंसानी गर्म खून चाहिए था। अब दुविधा यह थी कि शेर के सामने अपने आप को कौन डालें। छोटू और पिंकू ने रहीम से कहा, रहीम तेरे तो मां-बाप भी नहीं है तूने जी कर क्या करना है। आज तेरी दोस्ती का इंतिहान है तू शेर के सामने अपने आप को डालकर हम दोनों की जान बचा," यह सुनकर रहीम कहने लगा बस इतनी सी बात, अपनी दोस्ती को साबित करने के लिए यह तो बहुत छोटी सी बात है। इतना कहकर रहीम शेर के सामने खड़ा हो गया। शेर रहीम को गुस्से से ताकने लगा। इतने में गोली की आवाज सुनकर शेर वहां से भाग खड़ा हुआ। रहीम क्या हौसला देखकर छोटू और पिंकू को उसकी हिम्मत पर गर्व महसूस हुआ और यकीन हो गया कि रहीम उसका पक्का दोस्त है। इस पर रहीम ने कहा क्या यारा अगर दोस्ती के लिए जान भी चली जाती तो कुछ गम ना था क्योंकि कहते हैं ना दोस्ती में क्या तेरा क्या मेरा। #कोराकाग़ज़ 
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