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Anuradha T Gautam 6280
Ek villain
भारत ने प्रतिभा पलायन का पक्ष सबसे अधिक महत्वपूर्ण है देश की समृद्धि से वह हमारी कुल जनसंख्या के 35% युवा शक्ति है करो ना महामारी के कालखंड में हमने देखा कि केंद्र सरकार ने हजारों छात्रों को विदेश से भयंकर पीड़ा से बचाकर स्वदेश लेकर प्रशासन ने कार्य किया है यह स्वीकार करने में कोई प्रतिवादी नहीं हो सकता जो युवा विदेश में अध्ययन के लिए जाते हैं उनमें से अधिकांश वही स्थाई रूप से बचने के लिए जाते हैं इसके अतिरिक्त वह लाखों उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षित युवा जो विदेश में स्थाई रूप से बस चुके हैं और जिन्हें भारत ही मुख्य इंजीनियर मेडिकल और प्रतिबंध संस्थाओं से ही शिक्षा प्राप्त की है इस प्रतिभा पलायन ने हमारे देश को आर्थिक सामाजिक स्तर पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव डाला है हमारे आकृता संसाधन इन युवाओं की उच्च शिक्षा पर निवेश किए गए और विदेश में इसका पूरा लाभ उठाएं ©Ek villain #Women #मृत भाषा से ही रुकेगा प्रतिभा पलायन
Ek villain
पिछले कुछ वर्षों में अमृत भाषा की महत्ता को स्थापित करने की दृष्टि से सार्थक प्रयास हो रहे हैं कई संस्थाओं में याचिका विधि और अभियांत्रिकी की पढ़ाई हिंदी माध्यम से प्रारंभ हो गई है आशा की आग में ही में यह पाठ्यक्रम नहीं भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भाषाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस नीति के अंतर्गत प्रथम स्तर से लेकर उच्च स्तर तक सोच तक भारतीय भाषाओं के माध्यम से औपचारिक पाटन पाटन को प्रोत्साहित करते हुए संस्कृति की की गई है नीति के अनुसार प्राथमिक स्तर के पांचवी कक्षा और यदि संभव हो तो 8 वीं कक्षा गणित भाषा के माध्यम से ही शिक्षा प्रदान की जाएगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संस्कृति के अनुरूप भारतीय और हमारे भारतीय भाषाओं में शिक्षण के लिए समर्थन अध्यापकों को तैयार करना होगा स्थानीय भाषाओं के जन्म स्थान देना होगा हमें ज्ञान और शोध के माध्यम से आना होगा राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा देश के विभिन्न भागों में परीक्षा संस्कृत एवं कौशल कौशल भविष्य तैयार कर सकते हैं भारत की प्रतिष्ठा एक बहुत संख्या समाज के सदर में देश में अधिकांश नागरिकों में बड़ौदा होने की क्षमता वेब दैनिक जीवन में साक्षरता और उपचार एकता 9 तारीख का कार्यक्रम जनसंचार के माध्यम से विभिन्न भाषाओं एवं बाल नियमों से परिचित होते रहते हैं ©Ek villain #मृत भाषा में शिक्षा को प्रोत्साहन #Nofear
Ek villain
मृत भाषा की महता से मुंह मोड़ने की खातिर शीर्षक से प्रकाशित आलेख में गिरी व में चुने लोगों को मृत भाषा के प्रति जागरूक करने के साथ उनकी जरूरतों को खूबी वर्णन किया इन ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के बाद हिंदुस्तान में संस्कृति से लेकर समाज तक ऐसे बदलाव हुए जिसमें हमारी परंपरा का कायापलट कर दिया लिख लेखन और सीखने की प्रक्रिया में भाषा में हो ना सच बात है जो वास्तविक रूप से सत्य है कोई भी नौसिखिया बजाय किसी भी अन्य भाषा की अपनी भाषा में ही चीजों को बेहतर समझ पाता है हमने अंग्रेजी को विश्व भर में बोलने वाली भाषा समझ कर अपने भीतर इस तरह उतार लिया है कि जब अपने ही देश में हिंदी बोलना शर्मनाक होने लगा है यदि अंग्रेजी भाषा से अधिक जरूरी है तो चीन की पश्चिमी संस्कृति गुलाम हो गई होती अपनी भाषा को ही प्राथमिकता दी है इससे साबित होता है कि मृत भाषा से भी समाज विकसित हो सकता है हर भाषा अपनी प्राचीन संस्कृति से प्रेरित होकर बनी हुई होती है हालांकि कोई बात इतना गलत नहीं है किंतु माता के स्थान पर किसी अन्य भाषा को स्वीकार कर लेना समाज में नई संस्कृति को बढ़ावा देना जैसा है इसे अपनी संस्कृति के नष्ट होने का खतरा होता है अपनी संस्कृति को नजरअंदाज करके अंग्रेजों द्वारा छोड़ी गई उनकी भाषा को आज तक कर रखा है मानो यह उनकी विरासत थी जिसे हर हिंदुस्तानी को बचा कर रखना है इसके कारण पश्चिमी संस्कृति पर जा रहे हैं जो हमारी संस्कृति को नष्ट कर रही है इससे अपनी भाषा के प्रतिवेदन जैसे परिस्थितियां जन्म लेने लगी है ©Ek villain #मृत भाषा को बचाना जरूरी #selflove
Ek villain
मृत भाषा का चिंतन वंदन व्यक्ति समाज और राष्ट्र के आत्म नल की उन्नति करता है यह दूसरे पर निर्भरता से मुक्त और आत्मनिर्भरता की राह खोलने वाला अमृत भाषा में व्यवहार और शिक्षा किसी के बहिष्कार से परे स्वयं के स्वीकार की दिशा में जाना है जिसका बालक सबसे पहले अपनी मां से सीखता है और फिर परिजनों के साथ उसके विकास करता है इसके लिए उसे किसी प्रकार का अनावश्यक प्रयास नहीं करना पड़ता सीखना है कि यह प्रतिक्रिया प्रतिदिन चलती रहती है इस निधि भाषा की ताकत को पहचानते हुए यह भरत तेंदू हरिश्चंद्र हिंदी की उन्नति शीर्षक विज्ञान में 18 सत्र में कहा था कि निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल यह वह समय था जब आधुनिकता के समय पर कुछ लोगों में अंग्रेजी की आकर्षक पैदा हो रही थी एकता में एकता के सूत्र व्यक्ति समाज और राष्ट्र के विकास के द्वारा निजी भाषा की उन्नति सही जुड़ते खोलते हैं मृत्य भाषा प्रत्येक व्यक्ति को उनके परिवार समाज प्रदेश और देश से जोड़ती है उनके बीच स्थापित करती है वर्ष 1918 में हिंदी सहित इंद्र के अधिवेशन में गांधी जी ने कहा था कि अंग्रेजी व्यापक बादशाह पर यदि अंग्रेज और व्यापक ना रहे तो अंग्रेजी में सर्व व्यापक नहीं रहेगी हम अब अपनी भाषा की अपेक्षा कर कर उसकी हत्या नहीं करनी चाहिए भारत व सनातन ज्ञान परंपरा का केंद्र रहा है विदेशी दासता के दौर में उनके रूपों में ज्ञान की इस सनातन परंपरा को नष्ट करने के प्रयास होते रहे ©Ek villain #मृत भाषा में चिंतन का समय #selflove
Raone
#मृत औरत का जवाब-- हे प्रेम याचि तुम बात सुनो.... तीनों लोकों को मैं हीं तो जनती हूँ गलती मेरी बस इतनी है.... इक गरीब पिता की मैं तो बेटी हूँ शायद कारण बस इतना है इसलिए मरी मछली जैसी जल शय्या पर मैं तो लेटी हूँ ।। ना रूप मेरा तो उजला है, ना चन्द्र भाँति मैं लगती हूँ बस इसलिए शायद मैं यातना पति की सहती हूँ कलाई चूड़ी, माथे बिन्दी, सिंदूर मांग लगाई हूँ राजकुमारी थी अब दासी बनकर अपनी जान गँवाई हूँ ।। कहने को तो सुहागन हूँ पर सुहाग से मार खायी हूँ छोड़ पिता के हाथ को अपने पिय के संग मैं आयी हूँ इक चौखट से विदा हुयी थी और इक चौखट से धक्के खायी हूँ राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी (भाग-2) ©Raone एक प्रश्न
एक प्रश्न
read moreNeena Andotra
#जिंदगी#मृत#देह#खामोशी #Flute Writer_ 786 _PankajVaish_786 Dr. Ankit waghela Jugaadi Jat h.m. alam siddiqui Neeraj Saroha mukesh poonia तरूण.कोली.विष्ट Hariom Mishra 𝓡𝓸𝓶𝓮𝓸 𝓭𝓪𝔂𝓻𝓲 Rahul Jangir Sher-o-shayari (Urdu / Hindi) jagdish dawar Prakash Kumar Jassi Saab M.K.Prenzhania Singer Falguni Shah© Word Attacker Deepak jha नीतेश परिहार Prashant Chauhan Writer_ 786 _PankajVaish_786 Dr. Ankit waghela Jugaadi Jat h.m. alam siddiqui Neeraj Saroha
read moreAniket Chakrwarty
पता नहीं कौन मोमबत्तियाँ पकड़ना सिखा गए हमें, वरना नारी सम्मान में तो लंका दहन और महाभारत करने की संस्कृति थी हमारी। #मृत
सृष्टि तिवाऱी
सृष्टि मृत घोषित कर दे हमें, हम जीवित कहाँ? मृत-पाय हैं। लज्जित हूँ मैं शब्दों की मर्यादा पे, आत्मा को भी हम लाज़ की चौखट पे धर आये हैं। कितनी आंच है, कितनी है आत्मवंचना विधाता स्तवद्ध खड़ा है क्या सच ही मानुष उसने बनाये हैं।
Paramjeet kaur Mehra
#कबीरपरमेश्वर_के_चमत्कार ‘मृत कमाल बालक को जीवित करना‘‘ किसी कबीले ने अपने 12 वर्षीय मृत लड़के का अंतिम संस्कार दरिया में जल प्रवाह करके कर दिया था। कबीर परमेश्वर जी ने उस मृत बालक को आशीर्वाद से जीवित कर दिया। @rashtrapatibhvn @PMOIndia https://t.co/y1VfcM97CH #wednesdaywisdom
#कबीरपरमेश्वर_के_चमत्कार ‘मृत कमाल बालक को जीवित करना‘‘ किसी कबीले ने अपने 12 वर्षीय मृत लड़के का अंतिम संस्कार दरिया में जल प्रवाह करके कर दिया था। कबीर परमेश्वर जी ने उस मृत बालक को आशीर्वाद से जीवित कर दिया। @rashtrapatibhvn @PMOIndia https://t.co/y1VfcM97CH #WednesdayWisdom
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