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Shankar Kamble
*फेसाळलेला अथांग सागर* *सांजवेळी कातर होतो* *धीर गंभीर आरोळ्यांनी* *पायखुणा त्या पुन्हा शोधतो..* *तरल हळवे नितांत सुंदर* *थवे उतरले निळ्या अंबरी* *झाकोळलेल्या कुसुमांना मग* *प्रभा लाभली गर्द केशरी..* *कुठे सांडला गंध केवडा?* *दाटून आला आर्त मारवा* *तार छेडीता नाद प्रसवला* *खोल उतरला राग केरवा..* *ढवळून गेला तळ मनाचा* *हाती गवसले चुकार मोती* *शिंपल्यात दडलेल्या ओळी* *ओठांवरती अवचित येती..* *पंखा वरती नक्षी कोरून* *स्वैर पाखरे विहार करती* *उबग येता गगनाचा मग* *मातीसाठी वणवण फिरती* ©Shankar Kamble #dost #समुद्र #किनारा #काठ #किनारे #सागरलाटा #विचार #मत
Jiten rawat
जीवन सब का काठ का पुतला,आंच लगे जल जायेगा, तन सब का माटी का पुतला,एक दिन माटी में जायेगा। #nojotothought #nojotowriter #nojotoworld #jitenrawat #जीवन सब का #काठ का #पुतला,#आंच लगे #जलजायेगा, #तन सब का #माटी का #पुतला,#एकदिन #माटीमेंजायेगा। ✍️जितेन्द्र-JKR
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read moresiddharth Gautam
अग्नि-प्रीत अग्नि है यह- तपाएगी! काठ को जलाएगी, स्वर्ण को पकाएगी तपा काठ तो भस्म हुआ शेष बची राख तपा स्वण तो तरल हुआ, नए रूप में फिर ढला किन्तु बस! टूटा एक स्वप्न छूटा सब-इतिहास और जीवन का आभास परन्तु दृढ़ हुआ एक विश्ववास अग्नी है यह- तपाएगी! अग्नी है यह- तपाएगी पर अग्नि प्रीत
अग्नि प्रीत
read moreके_मीनू_तोष
........... काठ पुतली काठ की एक पुतली हूँ चाहे जैसे नचाते रहो बाँध डोर कनिष्का तर्जनी में कहानियाँ नई रचाते रहो कहाँ कुछ बोलने वाली हूँ
काठ पुतली काठ की एक पुतली हूँ चाहे जैसे नचाते रहो बाँध डोर कनिष्का तर्जनी में कहानियाँ नई रचाते रहो कहाँ कुछ बोलने वाली हूँ
read moreBrijendra Dubey 'Bawra,
है अपने सीने की आग में वो धधक कि अदना से काठ को भस्म बना दे! वो नादान सोचता रहा कि मुझे जला कर खाक कर देगा!! ©बृजेन्द्र 'बावरा' #NojotoQuote है अपने सीने की आग में वो धधक कि अदना से काठ को भस्म बना दे! वो नादान सोचता रहा कि मुझे जला कर खाक कर देगा!! ©बृजेन्द्र 'बावरा' #bawraspoetry #NojotoHindi #NojotoShairy #आग #धधक #अदना #काठ #भस्म #नादान #खाक Satyaprem Internet Jockey Dr Ashish_Vats Supriya Pandey Priya Neet Shukla
है अपने सीने की आग में वो धधक कि अदना से काठ को भस्म बना दे! वो नादान सोचता रहा कि मुझे जला कर खाक कर देगा!! ©बृजेन्द्र 'बावरा' #bawraspoetry Hindi #nojotoshairy #आग #धधक #अदना #काठ #भस्म #नादान #खाक Satyaprem Internet Jockey Dr Ashish_Vats Supriya Pandey Priya Neet Shukla
read moreRajesh Raana
कैसे मेरी ज़िंदगी झोपडी में भी ठाठ मार जाती है , शर्म के मारे हवेली की मुस्कान को काठ मार जाती है। मुश्किलों से खोलता हूँ मैं तहों में बंधी मुस्कान को , बदनसीबी आकार फिर होंठो पर गांठ मार जाती है । दिल मेरा फिर से बचपन का हुए जाता है और, घुटनो में दर्द लिए हुए उम्र ये साठ मार जाती है। मुहब्बत से मुतमुइन नही हूँ , ये अपना तज़ुर्बा है पर, शौखी से हँस दे वो, मुहब्बत फिर गुलाट मार जाती है। आशिकों की पूरी फ़ौज ही टूट पड़ती है "राणा" एक हसीना जो फेसबुक पे आँख मार जाती है। कैसे मेरी #ज़िंदगी #झोपडी में भी #ठाठ मार जाती है , #शर्म के मारे #हवेली की मुस्कान को #काठ मार जाती है। #मुश्किलों से खोलता हूँ मैं #तहों में बंधी #मुस्कान को , #बदनसीबी आकार फिर #होंठो पर #गांठ मार जाती है । दिल मेरा फिर से #बचपन का हुए जाता है और, #घुटनो में दर्द लिए हुए उम्र ये #साठ मार जाती है।
कैसे मेरी #ज़िंदगी #झोपडी में भी #ठाठ मार जाती है , #शर्म के मारे #हवेली की मुस्कान को #काठ मार जाती है। #मुश्किलों से खोलता हूँ मैं #तहों में बंधी #मुस्कान को , #बदनसीबी आकार फिर #होंठो पर #गांठ मार जाती है । दिल मेरा फिर से #बचपन का हुए जाता है और, #घुटनो में दर्द लिए हुए उम्र ये #साठ मार जाती है।
read moreRajesh Raana
कैसे मेरी ज़िंदगी झोपडी में भी ठाठ मार जाती है , मारे शर्म के हवेली की मुस्कान को काठ मार जाती है। कैसे मेरी #ज़िंदगी #झोपडी में भी #ठाठ मार जाती है , मारे #शर्म के #हवेली की #मुस्कान को #काठ #मार जाती है। #Hindi #Nojoto #Nojotohindi #Hindinojoto
Sumit Upadhyay
***काठ की हांडी** *Open mics की बाढ़ आई हुई है यारों। रोज नए मंच बन रहे हैं। रोज नए शायर और लेखक बन रहे हैं। कमी बस एक ही है कि इन मंचो की शुरुआत प्रतिभाखोज के उद्देश्य से शुरू होकर प्रसिद्धि और मुनाफे पर खत्म हो जाती है। एक समय के बाद केवल उन लोगों और चीजों को अधिक प्रसारित किया जाता है जो ज़्यादा से ज्यादा वायरल हों । इस बात से घंटा कोई फर्क नही पड़ता कि विषयवस्तु कैसी है। नतीजा ये होता है कि पब्लिक कुछ समय मज़ा लेने के बाद ढिंचक पूजा और स्वामी ओम की तरह भूल जाती है लोगों को। एक कहावत है भैया क
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