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RAVINANDAN Tiwari

78 अ
विरह कालावधि में हूई थी भूल, 
क्रुद्ध मुनिवर ने दिया उसे तुल, 
श्राप वश मिला परित्याग का शूल, भाग्यवश आज परिस्थितियाँ अनुकूल । 

🌼 🌹🌼🌹🌼 #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

#Shakuntla_Dushyant Rajesh rajak J P Lodhi. Sanam shona डॉ. अरुणा कृष्णप्रेम Tondak Dr Garima tyagi Rajesh rajak J P Lodhi. Sanam shona डॉ. अरुणा कृष्णप्रेम Tondak

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प्रेम, परिणय, वियोग, अस्वीकृति एवं पुनर्मिलन की यह अद्वितीय कहानी, 
अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाम से कलमबद्ध किया महाकवि कालिदास संस्कृत विज्ञानी, 
प्रतिबिंब की छाया प्रति सम मेरा यह तुच्छ प्रयास, 
अल्पज्ञता कारण संभव होगी ही कुछ त्रुटियां खास, 
उन्मूलन का सर्वजन से रखते हैं आस, 
सुधार सदा अनुगृहीत व प्रेरक अहसास। 

🌹🌼 🙏 🌼🌹 #Shakuntla_Dushyant  Rajesh rajak J P Lodhi. Sanam shona डॉ. अरुणा कृष्णप्रेम Tondak  Dr Garima tyagi Rajesh rajak J P Lodhi. Sanam shona डॉ. अरुणा कृष्णप्रेम Tondak

RAVINANDAN Tiwari

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आर्य ये आपकी वही अँगूठी है न?बोली शकुंतला पहचान, 
कैसा छल किया था इसने मेरे साथ उस काल अभिज्ञान, 
हाँ वही अँगूठी है, जब पाया इसे मैने विचित्र विधान, 
वापस आयी थी मेरी स्मृति, तदुपरांत हीं छँटा अज्ञान,
वसंत ऋतु आगमन में लताएँ जैसे करती फूल धारण, 
हे प्यारी! इस मुंदरी को तुम पुनः वैसे ही करलो धारण, 
आर्यपुत्र आप ही पहने,अब इसपे मेरा न रहा  भरोसा 
तत्क्षण मातली प्रवेश किया लेकर महर्षि का संदेशा, 
बधावा दिया मातली ने पुत्र प्राप्ति एवं भार्या पुनर्मिलन का 
तत्पश्चात आशीष लिया राजन ने महर्षि मारीच भगवन का, 
खुशी खुशी सपरिवार राजा दुष्यंत प्रस्थान किये अपनी राजधानी, 
प्रणय,परिणय, विरह, प्रात्याख्यान तथा पुनर्मिलन की पूर्ण हूई कहानी। #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

79
परिशुद्ध प्रेम का यह भी गुण, 
परस्पर देखते नहीं अवगुण, 
आपसी द्वंद में चाहते पराजय, 
जीत परस्पर का मन भाय, 
भरी आँखों से जब अंक लगाये, 
विरह वेदना तब टिक न पाये, 
विरह कालावधि गौन हो जाए, 
सुख पा दुस्वपन भी भूल जाए। #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

78
उठ जाएँ आर्यपुत्र ! मेरे हीं था कोई पूर्वजन्म का पाप, 
सुख में बाधक बना जो तब परिणत होकर अभिशाप, 
अन्यथा कोमल ह्रदय आप, तब कैसे करते वैसा दुरालाप, 
और अब कैसे होता प्रानप्रिये ह्रदय में मेरे लिए मंगल छाप ? 
कैसे मुझ दुखिया की सुधि आपको आई, अब कहें नाथ ? 
विरहव्यथा का शूल ह्रदय से पहले निकलने दो मूल के साथ। 
जिनकी उपेक्षा से जमी मन में जो दुख की साल, पूरि बह जाने दो, 
पलकों में अटकी इन आँसुओं को पोंछकर कुछ पश्चाताप मिटा लेने दो। #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

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विजय उद्घोषणा तेरी यद्यपि न थी स्पष्ट, 
तो भी विजयी हुआ मैं तुझे कर साक्षात दृष्ट, 
बिना प्रसाधन के भी लाल,हिले जो तेरे  ओष्ठ, 
मेरे तिरस्कार कारण हीं तुम्हें झेलनी पड़ी,कष्ट,
जाने स्मृति पर घिर आया था कैसा अंधेरा, 
पहचान न पाया अपने हीं,शुभागमन का फेरा , 
सूर सम फेंका पहनायी सुंदर-सी पुष्पमाला, 
अंधकार वश समझकर उसे विषधर विषैला, 
खुद को दोषी मान, शकुंतला के पग सर डाला, 
कहकर कि पीड़ा को भूल क्षमा करो हे मृदुला । #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

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अहो स्वभाग्य कि स्मृति किरण से नष्ट हुआ मोह अंधकार,
शकुंतला तुझे साक्षात देखने का स्वप्न पुनः हुआ साकार, 
चंद्र ग्रहण हटने से स्वभाविक उसका रोहिणी से मिलन योग, 
अब पुनः पुरे होगें अरमान अपने बीते काल वियोग, 
हर्ष से गदगद कंठ से अस्पष्ट बोली आर्यपुत्र की जयकार, 
उसकी आँखे भी सम्हाल न सकी अश्रुजल का भार #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

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देखकर पश्चाताप से दुर्बल राजन अति, 
सहसा बोली क्या यह मेरा हीं प्राणपति, 
और कौन कर सके इस गंडे को दूषित, 
पुत्र कहे मुझे यह कौन करके राजन को इंगित, 
सर्वदमन बोला तुरंत देखकर शकुंतला को विचलित, 
राजन बोले, हे प्यारी मैने पहचान लिया तब भूला अतीत, 
अरे मन तूँ धीरज धज भाग्य ने दी तज ईर्ष्या अहित, 
आर्यपुत्र हीं है,ये तेरे भाग्य, मैं सर्वांग से इनके परिचित #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

74 
शकुंतला का करके अवलोकन, 
प्रहर्ष और खेद से बोले राजन, 
क्या यह वही शकुंतला रे मन, 
कुम्हलाये मुख दो धूसर वसन, 
उदास-सी वेणी की एक गूँथन, 
व्रतपालन की छाया अति सघन, 
मुझ निष्ठुर हेतु हीं बनी विरहिण, 
उज्ज्वल चरित्र की यह जोगिन, 
कितने समय से वियोग साधना रत, 
विरह व्यथा-भार सह रही अनवरत। 
🌼 🌹🌼🌹🌼 #Shakuntla_Dushyant

RAVINANDAN Tiwari

73
छोड़ो हमें छोड़ो,अपने माँ के पास जाना, 
बेटे  मेरे संग हीं माँ का अभिनंदन करना, 
तुम नहीं हो मेरे पिता,मेरे तात तो दुष्यंत, 
सर्वदमन का विरोध बना समर्थन नितांत, 
गंडा विवरण सुनकर शकुंत हुई विस्मित, 
मिश्रकेशी की बात आज सच होती प्रतित, 
असमंजस में शकुंतला लपकी उस ओर, 
देखें  कौन दूषित करता वह पवित्र डोर #Shakuntla_Dushyant
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